कोरिया जिला स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र में नीलगिरी की सूखी पत्तियों से भाप आसवन संयंत्र द्वारा तेल निकाला जा रहा है।

कलेक्टर  एसएन राठौर के मार्गदर्शन में केवीके द्वारा इस नवाचारी प्रयास के माध्यम से कृषकों के लिए आमदनी के नये रास्ते खुल रहे हैं। गौठान ग्रामों के आस-पास रोपित नीलगिरी की पत्तियों को कृषकों के द्वारा एकत्रित करवा कर तेल निष्कासन का कार्य किया जा रहा है। यूकेलिप्टस वृक्षारोपण स्थल पर नीचे गिरी सूखी पत्तियों को एकत्रित करके उनसे भाप आसवन संयंत्र से सगंध व औषधीय नीलगिरि तेल निकाला जा रहा है। दिनभर में 01 क्विंटल तक सूखी पत्तियां एकत्रित कर ली जाती है। 01 क्विंटल से करीब 700 से 800 ग्राम तेल प्राप्त हो रहा है। जिसका बाजार में मूल्य 1700-1800 रुपये है। तेल निकालने के उपरांत 01 क्विंटल सूखी पत्तियों से 500-600 रुपये अतिरिक्त आय प्राप्त हो सकती है। आने वाले समय में नीलगिरी से प्राप्त तेल का उपयोग गौठान ग्रामों में सुगंधित अगरबत्ती बनाने, मॉस्क्टिो रेपेलेंट तरल, हस्तनिर्मित साबुन आदि सामग्री बनाने हेतु किया जाएगा।

कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक आर.एस. राजपूत ने बताया कि नीलगिरी की 100 किलोग्राम पत्तियों का यदि स्टीम डिस्टलेशन किया जाए तो 700-800 ग्राम तेल प्राप्त होता है। इस तरह एक एकड़ क्षेत्रफल से 11-12 किलो ग्राम तेल प्रतिवर्ष प्राप्त होता है। नीलगिरी का तेल बाजार में 2500 से 3000 रुपये प्रति लीटर बिकता है। इस तरह एक एकड़ से किसानों को 27 से 30 हजार रुपये की सकल आय नीलगिरी के तेल से प्राप्त हो सकती है। स्टीम डिस्टलेशन के व्यय उपरांत भी कृषकों को 20-22 हजार रूपये की शुद्ध आमदनी प्राप्त हो सकती है।