छत्तीसगढ़ चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के अंतर्गत वन अधिकार पट्टाधारी परिवारों को 100 दिनों का रोजगार देने में देश में पहले स्थान पर है। वित्तीय वर्ष के शुरूआती दो महीनों अप्रैल और मई में ही यहां वन अधिकार पट्टाधारी 1681 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार दिया जा चुका है। राष्ट्रीय स्तर पर 100 दिनों का रोजगार प्राप्त वन अधिकार पट्टाधारी कुल परिवारों में अकेले छत्तीसगढ़ की भागीदारी 44 प्रतिशत से अधिक है। विगत अप्रैल और मई माह में मनरेगा के तहत किए गए उत्कृष्ट कार्यों की वजह से छत्तीसगढ़ सर्वाधिक दिव्यांगों को रोजगार देने के मामले में देश में चौथे स्थान पर, सर्वाधिक परिवारों को 100 दिनों का रोजगार देने में छटवें स्थान पर और लक्ष्य के विरूद्ध कार्य पूर्णता में सातवें स्थान पर है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव ने मनरेगा के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने वर्ष की शुरूआत से ही अच्छा काम करने के लिए विभागीय अधिकारियों, राज्य मनरेगा टीम एवं पंचायत प्रतिनिधियों की पीठ थपथपाई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रदेश विगत वर्षों की भांति मनरेगा के क्रियान्वयन में इस साल भी देश के शीर्ष राज्यों में शामिल होगा। मनरेगा टीम और पंचायत प्रतिनिधियों को इसके लिए पूरे वर्ष भर जागरूकता और सक्रियता से काम करना होगा।
प्रदेश में चालू वित्तीय वर्ष के पहले दो महीनों में तीन करोड़ 38 लाख 65 हजार मानव दिवस रोजगार का सृजन किया गया है। यह भारत सरकार द्वारा प्रदेश के लिए साल भर के लिए निर्धारित लक्ष्य 13 करोड़ 50 लाख मानव दिवस के 25 प्रतिशत से अधिक है। लक्ष्य के विरूद्ध कार्य पूर्णता की दृष्टि से प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर सातवें स्थान पर है। मनरेगा में पिछले दो महीनों में 15 लाख 61 हजार परिवारों के 27 लाख 13 हजार श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। इनमें 18 हजार 132 दिव्यांग भी शामिल हैं। इस साल सर्वाधिक दिव्यांगों को रोजगार देने के मामले में छत्तीसगढ़ देश में चौथे स्थान पर है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के पहले दो महीनों में ही प्रदेश के 2969 परिवारों ने 100 दिनों का रोजगार हासिल कर लिया है। छत्तीसगढ़ इस मामले में देश में छटवें स्थान पर है। प्रदेश में इस वर्ष अप्रैल और मई माह में मनरेगा श्रमिकों को कुल 355 करोड़ 26 लाख रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया है।