जिलें में  मानसून के आगमन के साथ ही खरीफ की बुआई की आवश्यक तैयारी हेतु किसान जुट गये है। उप संचालक कृषि संत राम पैकरा नेे कृषि विभाग के सभी मैदानी अधिकारियों को मैदानी स्तर पर कृषकों को चरणबद्ध तरीके से समय-समय पर कृषकों को सलाह एवं आवश्यक सहयोग हेतु निर्देशित किया है। खरीफ हेतु मैदानी स्तर पर कार्य हो रहा है। जब हम खेती की बात करते हैं, तब बीज की महत्ता बहुत ही ज्यादा बढ़ जाती है,क्योंकि बीज पर पूरा कृषि कार्य निर्भर करता है,बीज अगर स्वस्थ होगा तो पौधे स्वस्थ होंगे,कीड़े बीमारी का प्रकोप कम होगा और उत्पादकता एवं उत्पादन में वृद्धि होगी, वहीं यदि बीज सही नहीं है, तो बीज का अंकुरण अच्छा नहीं होगा, प्रति इकाई क्षेत्र में पौध संख्या कम होगी और यदि अंकुरित हो जाता है तो पौधे अस्वस्थ एवं कीड़े बामारी का प्रकोप बढ़ जाने से रोकथाम हेतु फसल औषधि का अधिक उपयोग करने के कारण उत्पादन लागत बढ़ जाता है। इसलिये बीज का अंकुरण परीक्षण बहुत जरूरी है।
बीज अंकुरण परीक्षण –
किसान साथी अपने खेत में फसल लेने के लिये बीज की व्यवस्था या तो कर लिये हैं या कर रहे है, इसमें एक बात ध्यान में रखना बहुत जरूरी है कि हम बीज के स्त्रोत जैसे सोसायटी एवं गांव के किसी उत्कृष्ट कृषक से अदला बदली द्वारा व्यवस्था किये हैं, तो बीज का अंकुरण सही होने का कोई जीवंत प्रमाण नहीं होता है। इस लिये बीज की बोआई से पहले बीज का अंकुरण जांच करना बहुत जरूरी होता है। खेत में डाले गये बीज का अंकुरण सही नहीं होने पर वह स्थान पूरे फसल काल तक खाली रह जाता है एवं इस स्थान पर डाले गये रासायनिक एवं जैविक खाद प्रभावहीन हो जाते हैं। इसलिये बुआई पूर्व अंकुरण परीक्षण बहुत ही जरूरी है, इस हेतु बीज की बोरी से बीज साफ-सफाई कर छोटे एवं अस्वस्थ दानें अलग कर लें तथा बिना छांटे 100 बीज गिनकर गीली बोरी में कतार में रखकर लपेट कर रख दें। साथ ही बोरे में हल्की नमी बनाये रखें, तीन चार दिनों में बीज अंकुरण होने के बाद अंकुरित बीज की संख्या के गिन ले क्योंकि यही आपके बीज अंकुरण का प्रतिशत होगा। विभिन्न बीजों के माध्यम से उचित अंकुरण क्षमता के मापदंड अलग-अलग होते हैं, जैसे धान 80-85 प्रतिशत, उड़द 75 प्रतिशत, सोयाबीन 70-75 प्रतिशत है। अंकुरण परीक्षण में उपरोक्त मापदण्ड से थोड़ा अंतर होने पर बीज की मात्रा बढ़ाकर बोआई करें। यदि बीज का अंकुरण प्रतिशत मापदण्ड से बहुत कम है तो उस बीज की बुआई न करें तथा बीज स्त्रोत को बीज वापस करें एवं तुंरत नजदीकी कृषि अधिकारी को जानकारी दें। बीज की अंकुरण का पौध संख्या पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इसलिये बीज की अंकुरण जांच करके ही बीज की बुआई करें।

17 प्रतिशत नमक घोल उपचार:-
खेत में धान की बुआई के कुछ दिन पश्चात अंकुरण दिखता है लेकिन बाद में पौध संख्या कम हो जाती है यह इसलिए होता है, क्योंकि जब हम बीज की खेत में बुआई करते है, उस समय मटबदरा एवं कीेड़े से प्रभावित बीज खेत में पहुंचते हैं एवं अंकुरित भी हो जाते हैं तब हमें लगता है कि पौध संख्या अच्छी है लेकिन मटबदरा एवं कीेड़े से प्रभावित बीज से उगे पौधे कुछ दिन बाद मर जाते हैं। क्योंकि मटबदरा एवं कीड़े से प्रभावित बीज में पौध को जड़ के विकसित होने तक भोजन नहीं मिल पाता है। इसलिये स्वस्थ बीज का बोआई करना बहुत जरूरी है।
स्वस्थ बीज प्राप्त करने के लिये 17 प्रतिशत नमक घोल धान बीज का उपचार करें इसके लिये 10 लीटर पानी में 1 किलो 700 ग्राम नमक को घोले या ग्राम स्तर पर एक आलू या एक अण्डे की व्यवस्था करें पहले टब या बाल्टी में पानी ले फिर उसमें आलू या अण्डा डाले आलू एवं अण्डा बर्तन के तल में बैठ जाएगी, लेकिन जैसे-जैसे नमक डालकर घोलते जायेंगे। उपर आते जायेगा और 17 प्रतिशत घोल तैयार हो जायेगा तब अण्डा या आलू पानी के उपरी सतह पर तैरने लगेगा। इसके बाद अण्डा या आलू को पानी से निकाल कर बीज को इस घोल में डाले और हाथ से हिलाये एवं 30 सेकण्ड के लिये छोड़ दें। ऐसा करने से धान का बदरा, मटबदरा, कटकरहा धान, खरपतवार के बीज तथा कीड़े से प्रभावित बीज पानी के उपर तैरने लगेंगे। उसे अलग बर्तन में रखे और जो बीज बर्तन के नीचे तल में बैठ गया है उसे अलग कर साफ पानी से धोये तत्पश्चात् तुंरत बुआई करना है तो खेत में बुआई करें या फिर धूप में सूखाकर सुरक्षित भंडारण करें। ऐसा करने से स्वस्थ बीज प्राप्त होगा। कटकरहा, बदरा,मटबदरा, कीट से प्रभावित बीज एवं खरपतवार के बीज आसानी से अलग हो जाते हैं। इसके साथ ही कुछ अन्य फफूँद नाशक दवाई से जैसे थाईरम,बाविस्तीन के दो ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से दवा का उपयोग करने से तैयार होने वाले पौधा स्वस्थ्य होगा। जिससे पौधा रोग के प्रति लड़ने के लिए सक्षम होगा।