यह कहानी हिरोंदी बाई कश्यप पति स्वर्गीय बनवाली कश्यप बीजापुर नगरीय क्षेत्रान्तर्गत वार्ड क्रमांक 10 में निवास करने वाली की है। वह सड़क किनारे एक छोटी से जगह पर सब्जी की दुकान लगाती है और पिछले 25 साल से वो बीजापुर में निवासरत् है। पति के गुजर जाने के बाद वे एक जवान बेटे पर दो वक्त की रोटी के लिए आश्रित थी परन्तु बेटे के द्वारा भी कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिल पाता था। इसके उपरान्त वह एक छोटे से कच्चे मकान पर निवासरत् थी जिसमें पहले छत से पानी टपकने एवं बरसात में अन्य प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता था। कई वर्षों तक इन परेशानियों का सामना करना पड़ा। प्रधानमंत्री आवास योजना में बीएलसी घटक में ‘‘मोर जमीन मोर मकान’’ के अंतर्गत नये मकान की जानकारी नगरपालिका बीजापुर के अधिकारियों एवं प्रधानमंत्री आवास योजना के टीम के द्वारा उनको प्राप्त हुई। जिसके उपरान्त उनका आवेदन पत्र भरवाकर शासन को प्रस्ताव भेजा गया।
जब मकान की स्वीकृति प्रदान हुई तो वे नगरपालिका परिषद बीजापुर में आवास बनवाने के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों से मिली एवं लेबर, मिस्त्री की अनुपलब्धता के कारण आवास निर्माण प्रारंभ नही कर पाने की असमर्थता व्यक्त की। जिसके उपरान्त नगरपालिका की प्रधानमंत्री आवास योजना की टीम द्वारा उन्हे नगर के एक स्थानीय मिस्त्री उपलब्ध कराया गया इस राजमिस्त्री के सहयोग और स्वयं की सहभागिता के फलस्वरूप उन्होने अपना मकान धीरे-धीरे करके पूर्ण किया। हिदोंरी बाई बताती हैं कि वे सपने में भी कभी स्वयं के पक्के मकान की कल्पना नहीं की थी। अब वे अपने पक्के आवास में गर्व एवं खुशी से निवासरत् हैं और छोटी सी सब्जी के व्यवसाय को संचालित कर रही हैं। जिसकी कृतज्ञता वे राज्य शासन के साथ ही नगरपालिका परिषद के प्रति व्यक्त करती हैं।