मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ आने वाले समय में देश का मिलेट हब बनेगा। उन्होंने कहा कि मिलेट मिशन के तहत किसानों को लघु धान्य फसलों की सही कीमत दिलाने आदान सहायता देने, खरीदी की व्यवस्था, प्रोसेसिंग और विशेषज्ञों की विशेषज्ञता का लाभ दिलाने की पहल की है। हम लघु वनोपजों की तरह लघु धान्य फसलों को भी छत्तीसगढ़ की ताकत बनाना चाहते हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज अपने निवास कार्यालय में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च हैदराबाद और राज्य के मिलेट मिशन के अंतर्गत आने वाले 14 जिलों कांकेर, कोण्डागांव, बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, राजनांदगांव, कवर्धा, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, बलरामपुर, कोरिया, सूरजपुर और जशपुर के कलेक्टरों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर के लिए आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। एमओयू के अंतर्गत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च हैदराबाद छत्तीसगढ़ में कोदो, कुटकी एवं रागी की उत्पादकता बढ़ाने, तकनीकी जानकारी, उच्च क्वालिटी के बीज की उपलब्धता और सीड बैंक की स्थापना के लिए सहयोग और मार्गदर्शन देगा। इसके अलावा आईआईएमआर हैदराबाद द्वारा मिलेट उत्पादन के जुड़ी राष्ट्रीय स्तर पर विकसित की गई वैज्ञानिक तकनीक का मैदानी स्तर पर प्रसार हेतु छत्तीसगढ़ के किसानों को कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम.गीता, छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक श्री संजय शुक्ला, उद्योग विभाग के सचिव श्री आशीष भट्ट, संचालक उद्योग श्री अनिल टुटेजा उपस्थित थे। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च के डायरेक्टर डॉ. विलास ए.तोनापी और मुख्य वैज्ञानिक डॉ. दयाकर राव तथा 14 जिलों के कलेक्टर कार्यक्रम से ऑनलाइन जुड़े। देश-विदेश में कोदो-कुटकी, रागी जैसे मिलेट की बढ़ती मांग को देखते हुए मिलेट मिशन से वनांचल और आदिवासी क्षेत्र के किसानों की न केवल आमदनी बढ़ेगी, बल्कि छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान मिलेगी। वहीं मिलेट्स के प्रसंस्करण और वेल्यूएडिशन से किसानों, महिला समूहों और युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। छत्तीसगढ़ के 20 जिलों में कोदो-कुटकी, रागी का उत्पादन होता है। प्रथम चरण में इनमें से 14 जिलों के साथ एमओयू किया गया।

बघेल ने कहा कि लघु धान्य फसलों की खरीदी छत्तीसगढ़ लघु वनोपज सहकारी संघ की वन-धन समितियों के माध्यम से किया जाएगा। इन फसलों की प्रोसेसिंग करके इनका उपयोग मध्यान्ह भोजन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, पोषण आहर कार्यक्रम जैसी योजनाओं में होगा। इनसे तैयार उत्पादों को महानगरों के बाजारों तक पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। मिलेट मिशन के आगामी 05 वर्षों के लिए 170 करोड़ 30 लाख रुपए का प्रबंधन डीएमएफ एवं अन्य माध्यमों से किए जाने का भी निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि मिलेट मिशन के अंतर्गत कोदो-कुटकी और रागी की फसल लेने वाले किसानों को 9 हजार रूपए प्रति एकड़ तथा धान के बदले कोदो-कुटकी और रागी लेने पर 10 हजार रूपए प्रति एकड़ आदान सहायता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लघु वनोपजों की तरह लघु-धान्य-फसलों के वैल्यू एडीशन से स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर निर्मित होंगे। कांकेर और दुर्गूकोंदल में दो प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित हो चुकी है। स्व सहायता समूहों की बहनों को इससे रोजगार मिल रहा है। लघु-वनोपजों की तरह लघु धान्य फसलों को भी हम छत्तीसगढ़ की नयी ताकत बनाना चाहते हैं। अगले चरण में ऐसे और भी जिलों के साथ एमओयू किए जाएंगे, जहां कोदो, कुटकी, रागी का उत्पादन प्रचुर मात्रा में होता है।