छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय से गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ें हैं योजना से किसानों, पशुपालकों, महिलाओं, भूमिहीनों को नयी ताकत मिली है। उन्हें आमदनी और रोजगार का नया जरिया मिला है। साल भर में गौठानों में गोबर बेचने वाले पशुपालकों, किसानों एवं ग्रामीणों के बैंक खातों में सीधा भुगतान किया जा चुका है। स्व सहायता समूहों और गौठान समितियों के बैंक खातों में अब लाभांश एवं भुगतान की राशि का अंतरण की जा रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गांवों में निर्मित गौठान और साल भर पहले शुरू हुई गोधन न्याय योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नया संबल मिला है। यह योजना ग्रामीणों की अतिरिक्त आय का स्थायी जरिया बन गया है। गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत जांजगीर-चांपा जिले में करीब 03 करोड़ 73 लाख रूपए से अधिक की गोबर खरीदी की जा चुकी है। खरीदे गए गोबर से जिले के लगभग 247 गौठानों में बहुतायत रूप से वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन महिला समूहों द्वारा किया जा रहा है। गौठानों अब तक उत्पादित 25077.23 क्विंटल खाद विक्रय किया गया है। गोधन न्याय योजना में ग्रामीणों की बढ़-चढ़कर भागीदारी में इसे न सिर्फ लोकप्रिय बनाया है बल्कि इसके माध्यम से जो परिणाम हमारे सामने आए हैं वह बेहद सुखद है।
गोधन न्याय योजना अपने आप में एक ऐसी अनूठी योजना बन गई है, जीसने बहुआयामी उद्देश्यों को अपने आप में समाहित कर लिया है। इस योजना के शुरूआती दौर में लोगों के मन में कई तरह के सवाल और इसकी सफलता को लेकर आशंकाएं थी, जिसे गौठान संचालन समिति और गौठान से जुड़ी महिलाओं ने निर्मूल साबित कर दिया है। इस योजना से हमारे गांवों मेें उत्साह का एक नया वातावरण बना है। रोजगार के नए अवसर बढ़े हैं। पशुपालकों, ग्रामीणों को अतिरिक्त आय का जरिया मिला है। महिला स्व सहायता समूहों को को स्वावलंबन की एक नई राह मिली है।
पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ उन्हें चारे-पानी का एक ठौर देने के उदेद्श्य गांवों में स्थापित गौठान और गोधन न्याय योजना के समन्वय से वास्तव में गौठान अब ग्रामीण के आजीविका के नया ठौर बनते जा रहे है। गौठानों में महिला समूहों द्वारा जिस लगन और मेहनत के साथ आयमूलक गतिविधियां सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है। वह अपने आप में बेमिसाल है।