रायपुर/ राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज ग्राउंड में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव एवं राज्योत्सव 2021 में ग्रामोद्योग विभाग का शिल्पग्राम लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जिसे देखने लगातार प्रतिदिन अन्य प्रदेश और विदेश से आए लोक कलाकारों सहित राजधानी वासियों का जनसमूह उमड़ रहा है।
जहां छत्तीसगढ़ की गौरवशाली प्राचीन संस्कृति और धरोहर से जुड़ी कलाकृतियां लोगों को आकर्षित कर रही हैं। शिल्प ग्राम जहां शेल्फी जोन बन गया है वहीं यहां रखे गए जीवंत आदिवासी कलाकृतियां लोगों को शेल्फी लेने को अपनी आकर्षित कर रहा है। आयोजन स्थल पर बनाए गए शिल्पग्राम में हाथकरघा और खादी वस्त्रों के साथ-साथ माटी कला के उत्पादों और बर्तनों में लोगों की काफी रूचि देखने को मिल रही है। ग्रामोद्योग विभाग द्वारा लगाए गए शिल्पग्राम लोगों को अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का अहसास करा रहा है। यहां विगत दो दिनों में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और राज्योत्सव 2021 में आए शिल्पकारों की विभिन्न सामग्रियां की बिक्री लाखों रूपए तक पहुंच चुकी है।
शिल्पग्राम में ग्रामोद्योग विभाग के 40 स्टॉलों में रेशम प्रभाग के 2, हाथकरघा प्रभाग के 16, बुनकर महासंघ के 2, हस्तशिल्प विकास बोर्ड के 13, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के 3 और माटीकला बोर्ड के 4 स्टाल लगाए गए हैं। जिसमें प्रदेश के विभिन्न अंचलों से आए लगभग 84 कलाकार अपनी उत्कृष्ट कलाकृतियों और उत्पादों की बिक्री कर रहे हैं। बस्तर के बेलमेटल और लौह शिल्प जैसी साजवटी वस्तुओं की खूब बिक्री हो रही है, वहीं रायगढ़ के कोसा वस्त्रों की छटा लोगों को आकर्षित कर रही है। वहीं हाथकरघा प्रभाग द्वारा कोसा वस्त्र बुनाई का जीवंत प्रदर्शन लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है जो अगुंतकों को लुभा रहा है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में निर्मित कोसा वस्त्रों में सिल्क मार्क यूनिकोड लगाया गया है जो यह प्रमाणित करता है कि इन कोसा वस्त्रों के निर्माण में प्राकृतिक कोसा धागों का ही इस्तेमाल किया गया है। माटी कला बोर्ड के द्वारा उत्पादित कलात्मक वस्तुओं और मिट्टी से बने आभूषणों की बिक्री भी हाथों हाथ हो रही है। बेमेतरा जिले के शिल्पियों द्वारा बांस के फर्नीचर, जशपुर के शिल्पियों द्वारा निर्मित गोदना भित्तिचित्र, काष्ठ शिल्प भी लोगों को आकर्षित कर रही है। शिल्प ग्राम के नोडल अधिकारी डा. राजेश बघेल ने बताया कि खादी, सूती और कोसा वस्त्रों एवं नैसर्गिक रंगों से निर्मित वस्त्रों की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष मांग है, जिसके चलते यहां आने वाले लोग खादी और कोसा कपड़े की खरीदी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि शिल्पग्राम ने आगंतुकों के मनोरंजन के लिए संध्याकालीन समय में 20 सदस्यीय दल द्वारा करमा नृत्य का आयोजन किया जा रहा है। जो लोगों को खरीदारी के साथ-साथ उन्हें इस बार राज्योत्सव में मिट्टी के बर्तन, टी-सेट पाट, आकर्षक-सजावटी वस्तुओं और श्रृंगार सामग्रियां और आभूषणों की बिक्री हाथों-हाथ हो रही है। इसके अलावा बेलमेटल, लौह-शिल्प, तथा बेमेतरा जिले का बांस शिल्प सहित अनेक वस्तुओं में लोग रूचि ले रहे हैं।