ग्वालियर | “यह मेरा दुर्भाग्य है कि मैं मध्यप्रदेश जैसे राज्य में पैदा हुआ। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज तक मेरे किसी पत्र का जवाब नहीं देते। पिछले डेढ़ दशकों में कई पत्र उन्हें भेज चुका हूं। मैं सोचता हूं कि मुझे पद्मविभूषण देने का क्या फायदा।” यह कहना है अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सरोद वादक अमजद अली खान का, जिनकी सरोद पर अनूठी लयकारी और तंत्रकारी की सारी दुनिया मुरीद है।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में राज्य सरकार इस महीने 26 दिसंबर से 30 दिसंबर के बीच तानसेन समारोह का आयोजन करवा रही है। दुर्भाग्य की बात ये है कि संगीतकार मियां तानसेन की शैली के संगीत परंपरा के वाहक अमजद अली खान को इस समारोह में नहीं बुलाया गया है। इस समारोह में आमंत्रित न किए जाने को लेकर उस्ताद अजमद अली खान से पूछा गया तो वे रुआंसे हो गए। उन्होंने कहा कि ‘मेरे वालिद उस्ताद हाफिज अली खान को इस देश में बहुत प्यार मिला, लेकिन साल 1972 में उनके निधन के बाद से आज तक मध्य प्रदेश की सरकार ने उन्हें श्रद्धांजलि तक नहीं दी है।’
अजमद अली खान रॉयल अल्बर्ट हॉल, केनेडी सेंटर, हाउस ऑफ कॉमन्स, शिकागो सिंफनी सेंटर, ऑस्ट्रेलिया के सेंट जेम्स पैलेस और ओपेरा हाउस समेत न जाने कितने कला के विरले स्थलों पर अपनी प्रस्तुति से भारत का पताका चुके हैं। आज भी उम्र के 76वें पड़ाव में पूरी दुनिया के संगीत प्रेमी उनका सरोद वादन सुनने के लिए उत्साहित रहते हैं और उन्हें कार्यक्रमों में बुलाने के लिए खूब जतन करते हैं।