दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने गुरुवार को प्रेस को संबोधित करते हुए दिल्ली में कोरोना के मामलों पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि दिल्ली में अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना मरीजों की दर स्थिर हुई है। रोज़ाना आने वाले नए मामलों की तुलना में अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की दर फ़िलहाल नियंत्रण में है। कोरोना मरीजों की संख्या संतुलित है और कंट्रोल में है। हम आशा कर हैं कि यह इस लहर की पीक हो। दिल्ली में मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त है और हम गंभीर से गंभीर परिस्थितियों से निपटने के लिए पूर्ण रूप से तैयार हैं।
स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से रोजाना नए मामले आने के बावजूद भी अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या उतनी ही है। यह एक संकेत हो सकता है कि कोरोना का पीक अब आ चूका है। मैं उम्मीद करता हूँ कि कोरोना का यह पीक जल्द से जल्द आकर ख़त्म हो, ताकि दिल्ली और देश में कोरोना के मामले कम हों और लोगों को इसके प्रकोप से निज़ात मिल सके। कोरोना के कारण होने वाली मौतों पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि डेथ कमेटी के ऑडिट के अनुसार, कोरोना से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा संख्या उन मरीजों की है जो किसी अन्य बीमारियों के चलते एडमिट थे। उन्होंने बताया कि दिल्ली में जिस हिसाब से मामले बढ़े हैं, उस हिसाब से मरीजों की भर्ती होने की दर फ़िलहाल बहुत कम है। मरीजों की अस्पताल में भर्ती होने की दर में कोई इजाफा नहीं हो रहा।
उन्होने आईसीयू में भर्ती हो रहे मरीजों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अस्पतालों में आईसीयू बेड पर भर्ती मरीजों में बहुत कम ऐसे मामले हैं जो सिर्फ कोरोना के कारण आईसीयू में भर्ती हुए हैं। ज़्यादातर मरीज़ ऐसे हैं जो किसी अन्य बीमारी का इलाज़ करवा रहे हैं और जाँच कराये जाने पर कोरोना पॉजिटिव भी आ गए हैं। उदाहरण के तौर पर अगर कोई व्यक्ति किसी बीमारी से पीड़ित है और अस्पताल में अपना इलाज करने के लिए आता है, तो ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के अनुसार उसका कोविड टेस्ट किया जाता है और पॉजिटिव पाये जाने पर उसका आगे का इलाज़ कोरोना वार्ड में ही चलता है। इसका मतलब यह है कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीज कोरोना से कम लेकिन अन्य बीमारियों के कारण ज़्यादा भर्ती हो रहे हैं। चूंकि उन्हें कोरोना भी है, तो उन्हे भी हम कोरोना के आईसीयू बेड में भर्ती मरीजों की गिनती में शामिल किया जाता है।
इसके अलावा, उन्होने अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या और सरकार की तैयारियों के बारे में बताते हुए कहा कि अस्पताल में फिलहाल बेड की तुलना में बेहद कम मरीज भर्ती हैं। उदाहरण के तौर पर जीटीबी अस्पताल में 30 कोरोना के मरीज भर्ती हैं, वहाँ कुल 750 बेड उपलब्ध है। इसी तरह से एलएनजेपी अस्पताल में फिलहाल कुल 750 बेड उपलब्ध हैं लेकिन 136 मरीज ही भर्ती हैं। यदि जरूरत पड़ी तो हम इस दोनों अस्पतालों में 1000 बेड और बढ़ा सकते हैं। ठीक इसी तरह से दिल्ली के अन्य अस्पताल जैसे दीनदयाल हॉस्पिटल, लोक नायक हॉस्पिटल और राजीव गाँधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भी तैयारियां की गई है। दिल्ली सरकार की ओर से अस्पतालों में कुल 37 हज़ार बेड का इंतज़ाम किया है। अभी फिलहाल 15 हज़ार बेड को चालू किया गया है। ज़रूरत पड़ने पर हम रातों-रात बिस्तरों की संख्या को दोगुना करने की क्षमता रखते है, लेकिन चूंकि अभी अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या इतनी कम है कि बिस्तरों को बढ़ाये जाने की ज़रूरत महसूस नहीं हो रही है। हालाँकि सरकार आने वाली गंभीर से गंभीर परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।