रायपुरः इन दिनों गर्मी और लू ने प्रचंड रुप ले लिया है. जिसकी वजह से हमें बाहर आने जाने में तमाम मुश्किलें आ रही है. गर्मी इस कदर बढ़ गई है कि पंखे और कूलर से भी गरम हवा निकल रही है. लोग गर्मी के बचाव के लिए खाने-पीने वाली चीजों का विशेष ख्याल रखते हैं. ऐसे में हम बात कर रहे हैं, छत्तीसगढ़िया व्यंजन बोरे और बासी की जो न सिर्फ हमें गर्मी और लू से राहत देता है, बल्कि यह खाने में जायकेदार होता है. इसे खाने से डि-हाइड्रेशन और बीपी जैसी समस्या नहीं होती है.
सीएम भूपेश बघेल ने मजदूर दिवस पर नागरिकों से बोर बासी खाने की अपील की है । श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ मेहनतकश लोगों का प्रदेश है, इस पावन भूमि को हमारे किसानों और श्रमिक भाईयों ने अपनी मेहनत के पसीने से उर्वर बनाया है। लहलहाते खेतों की बात करें या अंधेरी खदानों से खनिज ढूंढ लाने की बात करें। कारखानों में धधकते लोहे से मजबूत स्टील बनाते हाथ हों या वनांचल में महुआ ,तेंदू पत्ता जैसे वनोपज इक्कठा करने वाले हाथ हों। देश को प्रदेश को हमारे किसान भाइयों और श्रमिक भाईयों ने ही अपने मजबूत कंधों में संभाल रखा है। एक मई को हर साल हम इन्हीं मेहनतकश लोगों के प्रति अपना आभार व्यक्त करने के लिए मजदूर दिवस मनाते हैं। हम सभी को मालूम है कि हर छत्तीसगढ़िया के आहार में बोरे- बासी का कितना अधिक महत्व है। हमारे श्रमिक भाईयों, किसान भाइयों और हर काम में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली हमारी बहनों के पसीने की हर बूंद में बासी की महक है। जब हम कहते हैं बटकी मा बासी अऊ चुटकी मा नून ,तो यह श्रृंगार हमें हमारी संस्कृति से जोड़ता है। गर्मी के दिनों में बोरे बासी शरीर को ठंडा रखता है, पाचन शक्ति बढ़ाता है त्वचा की कोमलता और वजन संतुलित करने में भी यह राम बाण है। बोरे बासी में सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। हमें हमारी युवा पीढ़ी को अपने आहार और संस्कृति के प्रति गौरव का अहसास कराना बहुत जरूरी है।
इसलिए मैं आप सभी से अपील करता हूं कि 1 मई को हम सब छत्तीसगढ़िया एक मई को बोरे बासी के साथ आमा के अथान ,अऊ गोंदली के साथ हर घर में बोरे बासी खाएं और अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व महसूस करें।