एमपी शासन, संस्कृति विभाग द्वारा तैयार रामकथा साहित्य में वर्णित वनवासी चरितों पर आधारित “वनवासी लीलाओं” क्रमशः भक्तिमती शबरी और निषादराज गुह्य की प्रस्तुतियां जिला प्रशासन के सहयोग से प्रदेश के 89 जनजातीय ब्लॉकों में होंगी। इस क्रम में जिला प्रशासन ग्वालियर के सहयोग से दो दिवसीय वनवासी लीलाओं की प्रस्तुतियां आयोजित की गई I

प्रस्तुतियों की श्रृंखला में पहले दिन भक्तिमती शबरी और समापन दिवस पर निषादराज गुह्य की प्रस्तुति गालव सभागार जीवाजी विश्वविद्यालय में दी गई जिसमें नाटक का निर्देशन क्रमशः गीतांजली गिरवाल और हिमांशु द्विवेदी ने किया I

गीतांजलि गीत गिरवाल द्वारा निर्देशित यह नाटिका इतनी प्रभावशाली थी कि दर्शक मंत्रमुग्ध होकर रामकथा के इस अनुपम प्रसंग को देखते आत्म विभोर हो गए। सभी पात्रों ने शबरी की भक्ति के प्रसंग वाले नाटक में अपना-अपना पात्र इतनी सटीकता और पूर्णता के साथ प्रस्तुत करने का ईमानदार प्रयास किया कि यह कहना मुश्किल है किसने अच्छा किया और किसने कम अच्छा किया। भगवान राम , लक्ष्मण, सीता मैया , हनुमान , शबरी, रावण से लेकर बंदर बकरी तक के किरदार निभाने वाले कलाकारों का प्रयास समान तालियां बटोर रहा था।

समापन नाटक भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त निषादराज की कथा पर आधारित है I बचपन में निषादराज और श्रीराम ने एक ही गुरु वशिष्ठ के पास शिक्षा ग्रहण की I बचपन में शिकार खेलने के दौरान निषादराज ने शेर से श्रीराम की रक्षा की थी और वनवास के दौरान निषादराज ने श्री रामचंद्र की अनन्य भक्ति और सहायता की I इस नाटक में निषादराज की और केवट की भक्ति तथा उनकी राम को विशिष्ट सहायता का प्रदर्शन किया गया है I

हिमांशु द्विवेदी का निर्देशन प्रभावी रहा जिन्होंने कम समय में इतने कलाकारों से इतना अच्छा अभिनय कराने में सफलता पाई और दर्शकों को भाव विभोर कर दिया संगीत नृत्य और अभिनय से भरपूर इन नाटक की प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा I प्रस्तुति का आलेख योगेश त्रिपाठी एवं संगीत संयोजन मिलिन्द त्रिवेदी द्वारा किया गया है। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक आनंद ने किया I