गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही : विश्ववंद्य गुरुवर रवीन्द्र नाथ टैगोर अपनी क्षयरोग(टीबी) से पीड़ित पत्नि का उपचार कराने गौरेला नगर के जिस परिसर में ठहरे थे और कुछ माह विश्राम किया…. उसी परिसर में तीन करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले उच्च विश्राम गृह का नाम गुरुवर की स्मृति में रवीन्द्र विश्राम भवन रखने का आग्रह राज्य शासन और जिला प्रशासन से किया है। उत्तम जलवायु के लिये विख्यात गौरेला में अंग्रेजों ने क्षयरोग के उपचार के लिए टी वी सेनेटोरियम चिकित्सालय खोला था. इसी सेनेटोरियम में विश्ववंद्य गुरुवर रविन्द्र नाथ टैगोर अपनी पत्नि के उपचार के लिये आये थे.बिलासपुर स्टेशन के प्रतीक्षालय में ठहर कर ट्रेन से पेण्ड्रारोड स्टेशन पर सपत्नीक उतरकर तांगे में बैठ सेनेटोरियम गौरेला पहुंचे थे .उस कालावधि में गुरुवर जिस परिसर में ठहरे और कुछ माह विश्राम किया उसी परिसर में जिला प्रशासन ने तीन करोड़ की लागत से सुसज्जित उच्च विश्राम गृह बनाने का स्तुत्य और सर्वथा युक्ति संगत निर्णय लिया है।इस संबंध में लेखक और पर्यवारणविद वेदचन्द जैन ने इस हरे भरे और मनोरम पावन परिसर में निर्मित होने वाले उच्च विश्राम गृह का नाम गुरुवर रवीन्द्र नाथ टैगोर की स्मृति को अक्षुण्ण रखने को ध्यान में रखते रखते हुये रवींद्र विश्राम गृह रखे जाने का सुझाव दिया है। इस परिसर का सौभाग्य है कि इसे गुरुवर दम्पत्ति की सेवा और सानिध्य का अवसर मिला.गुरुवर ने इस परिसर का उल्लेख अपनी फाकी रचना में किया था I