भारत मे फिर से चीतों के 70 सालों पुनर्स्थापना की ऐतिहासिक घटना को लेकर भारतीय मीडिया मे तरह-तरह की राजनीतिक टिप्पणियां हो रही हैं। ‘ टाइगर आया-चीता लाया’ के साथ में ‘ चीता टाइगर का शिकार करने आया‘ जैसी टिप्पणियां पालपुर कूनो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इस ऐतिहासिक अवसर को जन-जन तक पहुंचाने का जरिया बन गया है।

भारत का टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश में अब चीता भी देखने को मिल सकेगा जिसका श्रेय सीएम शिवराज सिंह और पीएम मोदी दोनों को जाता है । चीते का कुनबा बसाने और बढ़ाने का गहन और गंभीर दायित्व मध्यप्रदेश को मिलना भी एक बड़ी उपलब्धि है। भारत में लगभग 72 साल पहले विलुप्त हो चुके चीतों की पुनर्स्थापना पालपुर कूनो अभ्यारण (संभाग ग्वालियर) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 72वे जन्मदिवस पर होना भी पीएम मोदी का मध्यप्रदेश के लिए रिटर्न गिफ्ट जैसा है। चीतों की बसाहट और कुनबा बढ़ाने के लिए पूरा प्रदेश का मुख्य वन विभाग का अमला ग्वालियर – श्योपुर – मुरैना में डेरा डाले हुए है I

ग्वालियर श्योपुर मार्ग पर पर्यटन दर्शन के नए अवसरों को तलाशा जा रहा है I चीतों के लिए पालपुर कूनो में 12 वर्ग किलोमीटर का बाड़ा तैयार किया गया है। इसे 8 भागों में बांटा गया है। इन सभी बाड़ों के बीच 10 हेक्टेयर का एक छोटा एरिया भी रखा गया है I
चीतों के आने से इसके दूरगामी संकेत और परिणाम दिखाई पड़ रहे हैं। वन्यप्राणी विशेषज्ञों और पर्यटकों की आतुरता के साथ चीतों के लिए अनुकूलता विलुप्त वन्य प्राणियों को फिर से बसाने के लिए एक नए अनुसंधान और विकास क्रम को इस ऐतिहासिक घटना से जोड़कर देख रहे हैं। चीतों की पुनर्वास का प्रयोग सफलता के पायदान पर पहुंचाने के साथ ही जिराफ और जेब्रा को भी भारत मे लाने पर विचार और प्रयास को बल मिलेगा I
वन्यप्राणियों के लिए गाँव खाली कराकर पर्यावरण संतुलन का प्रयास पूरे विश्व के लिए भारत का एक सकारात्मक संदेश है I हालांकि वन्यप्राणी विशेषज्ञों की नजर बाहर से आ रहे चीतों के बसाहट और विकास को बड़ी चुनौती के रूप में देख रहे हैं। राज्य सरकार और वन विभाग की टीम सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं, यहां तक कि अभ्यारण के आसपास के स्थानीय निवासियों को चीता मित्र बनाकर जागरूकता अभियान भी चला रही है I
नामीबिया में आए हुए चीतों का नया ठिकाना जहां मध्यप्रदेश पालपुर कूनो में बसेरा बनेगा। इस अभ्यारण की परिकल्पना एशियाटिक लॉयन को बसाने के लिए की गई थी। गुजरात के गिर नेशनल पार्क से यह लॉयन मध्यप्रदेश को मिलने थे लेकिन दो राज्यों की असहमति से बात नहीं बन सकीं I
एक लंबे समय के बाद सुखद वैश्विक पल आ रहा है गिर शेर की बजाए अब चीता आ रहा है। गुजरात से बब्बर शेर भले ही नहीं आयें गुजरात अपनी पहचान बांटने पर भले ही सहमत उस समय नहीं हुआ पर जो हुआ बहुत अच्छा हुआ। मध्य प्रदेश भारत का एकलौता चीता स्टेट बन गया I प्रधानमंत्री मोदी अपने जन्मदिन पर पालपुर कूनो अभ्यारण्य में चीतों को बाड़े में छोड़ेंगे I
चीता विलुप्त हो चुके थे भारत से
भारत में 1952 में चीता को विलुप्त प्रजाति घोषित किया गया था। ऐसा माना जाता है कि 1947 में आखिरी बार चीते को भारत में देखा गया था I आजादी के समय जो चीता लुप्त हुआ था, वह आजादी के अमृत महोत्सव के समय पीएम मोदी के द्वारा भारत में आबाद हो रहा है। नामीबिया से आ रहे चीतों का पालपुर कूनो में जहां पहला जन्मदिन पीएम नरेंद्र मोदी का 72 वां जन्मदिन मध्यप्रदेश में मनाया जाएगा वहीं इस अभयारण्य में चीतों के आगमन के साथ एक इतिहास फिर रचा जाएगा I

चीतों का विशेष देखभाल शिकारियों पर कड़ी नजर

देश के बाहर से आए चीतों को भोजन के साथ साथ स्थानीय ग्रामीणों की ट्रेनिंग का भी इंतजाम किया गया है I चीतों के भोजन के लिए 25 से अधिक चीतल इस अभ्यारण में छोड़े गए हैं। प्राकृतिक रहवास की व्यवस्थाएं भी की गई हैं। चीते प्राकृतिक रूप से अपने कुनबे का विस्तार करने में सफल रहे इसके लिए विशेषज्ञ शोधपरक प्रयास कार्य कर रहे है I चीतों के बेहतर प्रजनन अनुकूल वातावरण को ध्यान में रखकर पालपुर कूनो अभ्यारण्य में इन्तेजाम किए गए है। जिस तरह टाइगर आज मध्यप्रदेश में पर्यटन क्षेत्र मे आकर्षण के रूप में देखा जाता है। उसी तरह चीते भी इस अंचल में पर्यटन को विकसित करेंगे I
भारत मे चीते का प्रतीकात्मक उपयोग रफ्तार जैसे वस्तु विशेष के लिए किया जाता है। चीता जब दौड़ता है तो आधा समय हवा में रहता है। दौड़ते समय चीता 7 मीटर यानी करीब 30 फीट की छलांग लगा सकता है।
पुलिस और सेना के संगठन अपनी सक्रियता प्रदर्शन के लिए ‘चीता ब्रिगेड’ और ‘चीता वाहन’ जैसे शब्दों का उपयोग अक्सर करते रहते हैं। पीएम मोदी द्वारा चीतों को मध्य प्रदेश मे छोड़ने से अब प्रदेश की रफ्तार भी बढ़ेगी ये भविष्य सुनिश्चित करेगा I