मध्य प्रदेश और देश के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर देश के दिल मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को 70 साल के लंबे अंतराल के बाद फिर से बसाने के लिये छोड़ा. बोइंग के एक विशेष विमान ने कल रात को अफ्रीकी देश से उड़ान भरी थी और वह लकड़ी के बने खास तरीके बॉक्स में चीतों को लेकर करीब 10 घंटे की यात्रा के बाद भारत पहुंचा. चीतों को लाने के लिए विमान में खास इंतजाम किए गए थे.

दुनिया में सबसे अधिक फुर्तीला स्तनधारी जानवर चीता को माना जाता है जिसकी दो प्रजातियां हैं। 1952 में भारत में विलुप्त घोषित किया जाने वाला चीता एशिया में पाई जाने वाली प्रजाति थी। बता दें कि यह प्रजाति अब केवल ईरान में ही है। भारत में वर्ष 1947 में आखिरी बार चीता देखा गया था। मध्य प्रदेश के सरगुजा (अब छत्तीसगढ़ में) के जंगल में दिखाई दिए चीता का वहां के महाराज ने शिकार किया था।

1952 में विलुप्त करार दिया गया जानवर चीता ‘रफ्तार का बादशाह ‘ कहलाता है। दरअसल यह मात्र 3 सेकेंड में 110 मीटर की दूरी तय कर सकता है लेकिन इसकी स्टैमिना इसका साथ नहीं देती। आज 17 सितंबर को दक्षिण अफ्रीकी देश नामिबिया से 8 चीतों को भारत लाया गया है, इन्हें यहां बसाने का मकसद है।

मेहमान चीतों के लिए कुनो पार्क ही क्यों

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में इन मेहमान चीतों को मध्यप्रदेश के कुनो पार्क में लाया गया है। अब सवाल यह भी है कि इन्हें देश भर के किसी और पार्क में भी लाया जा सकता था यहीं क्यों…।  कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस पार्क में चीते के लिए खाने का पर्याप्त इंतजाम और सुविधाएं हैं। साथ ही दक्षिण अफ्रीका की सरकार और वन्य जीव विशेषज्ञ इनपर नजर रखेंगे.

वर्ष 1952 में भारत सरकार ने चीता को विलुप्त प्रजाति की अनुसूची में शामिल कर लिया था। तब से ही इन चीतों को भारत में लाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। शुरुआत में ईरान से चीतों को भेजने की योजना थी लेकिन अब दक्षिणी अफ्रीकी देशों से इन्हें भेजा जा रहा है। इस प्रयास में नामीबिया आठ चीतों को भेज है।