भोपाल: पद्मश्री मालिनी अवस्थी के लोक गायन से महकी रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की ‘विश्वरंग पुस्तक यात्रा 2022‘- डॉ. विनीता चौबे जी की पुस्तकें– “संस्कार गीत” एवं “चतुर्वेदी चंद्रिका” ‘सामाजिक बदलाव के 125 साल’ का हुआ ‘लोकार्पण समारोह’- ‘शारदा चौबे लोक सम्मान 2022‘ से अलंकृत हुईं पद्मश्री मालिनी अवस्थी भोपाल।

रवीन्द्र भवन की शुक्रवार की शाम प्रख्यात लोक गायिका मलिनी अवस्थी के सुमधुर लोक गीतों के नाम रही। मौका था रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र द्वारा आयोजित किए जा रहे विश्वरंग पुस्तक यात्रा के समापन समारोह – “लोकराग” का।

इस अवसर पर मालिनी अवस्थी को ‘शारदा चौबे लोक सम्मान‘ से विभूषित किया गया। साथ ही डॉ. विनीता चौबे जी की पुस्तकें– “संस्कार गीत” एवं “चतुर्वेदी चंद्रिका“, ‘सामाजिक बदलाव के 125 साल’ का ‘लोकार्पण’ समारोह पूर्वक किया गया।

इस मौके पर रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे ने कहा कि इस बार विश्वरंग के चौथे संस्करण का आयोजन किया जा रहा है जिसका कि पहले पड़ाव के रूप में पुस्तक यात्रा का समापन किया जा रहा है। इसके अगले चरण में 14 से 20 नवंबर तक विश्वरंग का मुख्य उत्सव मनाया जाएगा। वहीं, विश्वरंग की सह-निदेशक डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने कहा कि इस बार का आकर्षण बच्चों को साथ युवा केंद्रित विषय़ भी हैं।

कार्यक्रम में मालिनी अवस्थी ने अपने वक्तव्य में पुस्तक यात्रा प्रकल्प की सराहना करते हुए कहा कि पुस्तकें हम सबके जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। सभी को श्रेष्ठ साहित्य पढ़ना चाहिए। लोक गीत पुस्तकों की भांति ही विशाल होते हैं। लोकगीतों के सुमधुर तानों का आगाज करते हुए मालिनी अवस्थी ने नवरात्र के अवसर पर मां को आने का आह्वान से शुरुआत करते हुए ‘उड़ी जाओ रे सुगना गंगा पार…’ गीत से किया। इसके बाद उन्होंने ‘निमिया के डार मईया…” गीत की प्रस्तुति दी। इसी कड़ी में कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने सोहर की बंदिश “छापक पेड़ छियुलिया…” को प्रस्तुत किया। फिर बुंदेलखंड का आल्हा गायन किया जिसमें मंगलपांडे की कहानी को सुनाया। इसके बाद ‘चुन चुनकर फूल ले लो, अरमान रह ना जाएं…” बंदिश प्रस्तुत की। इस दौरान संगत में की-बोर्ड पर सचिन, हारमोनियम पर धर्मसिंह, तबले पर मुकेश मधुकर, ढोलक पर अमित और ऑक्टोपेड पर धर्मेंद्र रहे।

इसके अलावा संतोष चौबे, वरिष्ठ कवि–कथाकार, निदेशक, विश्व रंग एवं कुलाधिपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा परिकल्पित भारत के चार राज्यों में एक साथ 11 भव्य विश्व रंग पुस्तक यात्राएँ 100 जिलों, 200 विकास खंडों, 500 ग्रामपंचायतों की 15000 कि.मी. की यात्रा करते हुए गावों, कस्बों, शहरों में पुस्तक संस्कृति की अलख जगाती ‘विश्वरंग पुस्तक यात्रा’ 2022 शुक्रवार को भोपाल पहुंची और इस दौरान भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर विश्वरंग के सह-निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ब्रह्मप्रकाश पेठिया, कुलसचिव डॉ. विजय सिहं, वनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष मुकेश वर्मा आदि गणमान्य अतिथि उपस्तिथ रहे।

समापन कार्यक्रम में प्रसिद्ध बारेलाल बैंड की प्रस्तुति हुई। गौरतलब है कि ‘विश्वरंग पुस्तक यात्रा’ रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल, डॉ. सी.वी. रमन विश्वविद्यालय, बिलासपुर (छत्तीसगढ़), खंडवा (मध्यप्रदेश), वैशाली (बिहार), आईसेक्ट विश्वविद्यालय, हजारीबाग (झारखंड) और उनके सहयोगी संस्थानों की संयुक्त पहल पर आयोजित की जा रही थी। कार्यक्रम का संचालन विनय उपाध्याय, निदेशक, टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र द्वारा किया गया।