सुनो खबर डेस्क I महाशिवरात्रि पर जय शिवशंकर सर्वत्र गूंजने लगता है।भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है। महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ आदि नामों से प्रचलित भगवान शिव की महिमा सर्वविदित है I इसी कड़ी में शिवलिंग की खोज और महत्व आज भी प्रासंगिक है I

राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर दूर भोजपुर की पहाड़ी पर एक बादल और विशालकाय लेकिन अधूरा शिव मंदिर है। यह मंदिर भोजपुर शिव मंदिर या भोजेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं। जानकारी के लिए बता दे कि इस प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई -1055 ई) द्वारा किया गया था जो कि मंदिर 115 फीट लंबा, 82 फीट चौड़े और 13 फीट ऊंचे चबूतर पर खड़ा है। सबसे बड़ा और प्राचीन शिवलिंग का दर्जा इस मंदिर को जाता है I

छत्तीसगढ़ में भी पुराना दो हजार साल पुराना शिवलिंग

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में पुरातत्व विभाग को खुदाई के दौरान द्वादश ज्योतिर्लिगों वाले पौरुष पत्थर से बना शिवलिंग मिला माना जाता है कि यह दो हजार वर्ष पुराना है I जो कि राज्य में मिला अब तक का सबसे प्राचीन व विशाल शिवलिंग है I हालांकि सिरपुर में कई सालों से चल रही खुदाई में सैकड़ों शिवलिंग मिले हैं. इनमें से गंधेश्वर की तरह यह शिवलिंग भी सबूत निकला है I

हालांकि ये भी एक तथ्य है कि : गुजरात के नर्मदा जिला, देडियापाडा तालुका के कोकम गांव में स्थित शिवलिंग भी पुराना है। गुजरात के मोसाद के पास एक ऐसा मंदिर है जिसमें विराजमान शिवलिंग सदियों पुराना है। इस शिवलिंग का अस्तित्व 5000 हजार साल पुराना बताया गया है। यह शिवलिंग 1940 में खुदाई के दौरान मिला था। खुदाई के समय प्रसिद्ध पुरातत्वविद् एम.एस. वाट्स वहाँ मौजूद थे। एम.एस. वाट्स पुरातत्वविद् द्वारा जांच के बाद इस शिवलिंग को लगभग 5000 पुराना बताया गया है I

स्थानेश्वर महादेव भी सबसे प्राचीन शिव मंदिर:

कुरुक्षेत्र विश्व भर में धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है I वैसे तो कुरुक्षेत्र को महाभारत के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां पर अनेकों प्राचीन मंदिर है इनमें से एक मंदिर है स्थानेश्वर महादेव मंदिर

कहते हैं कि भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग के रूप में पहली बार पूजा इसी स्थान पर हुई थी I यहां शिवलिंग विश्व में सबसे पहली बार स्थापित किया गया था I मान्यता के अनुसार इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान ब्रह्मा ने आदिकाल में की थी I महाभारत से पूर्व भगवान कृष्ण ने पांडवों सहित इस शिवलिंग की पूजा की और युद्ध में विजय प्राप्ति का वरदान मांगा I

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