विचार: दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में आज आम आदमी को आवाज उठाना भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना गुनाह हो गया है।देश के प्रमुख विपक्षी दल के पूर्व अध्यक्ष चार बार के सांसद आदरणीय राहुल गांधी जी जब संसद में बोलते हैं तो उन्हें बोलने नहीं दिया जाता उनका माईक बंद कर दिया जाता है। सत्तारूढ़ दल के सांसद बहुमत के अतिवादी चरित्र का प्रदर्शन करते हुए संसद नहीं चलने देते हैं। राहुल गांधी जी की सदस्यता को समाप्त कर लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास किया गया है। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए ठाकुर घनश्याम सिंह जिला मीडिया प्रभारी ने कहा कि यह घटनाक्रम में आखिर राहुल गांधी जी की सदस्यता क्यों रद्द की गई। क्यों कि राहुल गांधी जी ने भरी संसद में प्रधानमंत्री मोदी की दुखती रग में हाथ धर दिया है, उनके घोटालेबाज मित्र अडानी पर सवाल उठाए उन्होंने मोदी अडानी के संबंध को उजागर किया। राहुल गांधी जी ने संसद में दो लिखित अनुरोध दिए हैं कि उनको जवाब देने दिया जाए , प्रधानमंत्री नहीं चाहते कि उनके और अडानी के रिश्तों का पर्दाफाश हो।24 मार्च को लोकसभा ने महज 24 घंटे में उनकी सदस्यता रद्द कर दी।हम न्यायिक प्रक्रिया पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे हम आगे की कानूनी लडाई लड़ेंगे। राहुल गांधी जी की सदस्यता रद्द के तीन दिन के अंदर ही लोकसभा की गृह समिति ने उन्हें 30 दिन के अंदर मकान खाली करने का नोटिस दे दिया।जो व्यक्ति भारत जोडने के लिए 4000 किलोमीटर पैदल यात्रा कर सकता है।यह प्रहार केवल एकदल पर नहीं यह सभी विपक्षी दलों पर हमला है,देश के 135 करोड़ जनता पर हमला है। राहुल गांधी जी विपक्ष के प्रमुख नेता हैं जब उनकी सदस्यता रद्द कर सकते हैं तो आम आदमी की क्या बिसात।यह भारत के प्रजातंत्र में तानाशाही की शुरुआत है, इससे हम डरने वाले नहीं हैं।हम गली मोहल्ले चौक चौराहों को संसद बनाएंगे। कहां कहां आप हमारी आवाज दबाएंगे।
(लेखक के अपने विचार है)