रायपुर– बच्चों का भाषा ज्ञान परखने छत्तीसगढ़ के शासकीय स्कूलों में अब वाचन प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। बच्चों में पढ़ने की रूचि बढ़े, सभी बच्चे भाषा की पुस्तके आसानी से पढ़ सके और अपने आसपास लिखे विज्ञापनों-सूचनाओं को पढ़ कर समझ सकें। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने यह जानकारी जिला मुख्यालय कांकेर में आयोजित विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान दी।
डॉ. शुक्ला ने कहा कि अप्रैल माह में संकुल स्तरीय प्रतियोगिता में निर्णायक विद्यार्थियों की माताएं होंगी। चयनित स्कूल विकासखण्ड स्तर और जिला स्तर पर चयनित बच्चों को राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष सभी मूल्यांकन मार्च माह तक पूर्ण करने का लक्ष्य है। बैठक में उपस्थित शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी कि कांकेर जिले के 220 हायर सेकेण्डरी स्कूलों में स्मार्ट टी.व्ही. के माध्यम से शिक्षा दी जा रही है। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने इन स्कूलों के बच्चों को विषयानुसार ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने के लिए जिला कलेक्टर को डीएमएफ मद से इंटरनेट से कनेक्ट कराने कहा।
बैठक मंे बताया गया कि प्रदेश के स्कूलों में हो रहे नवाचारों में कबाड़ से जुगाड़ कर टीचर लर्निंग मटेरियल निर्माण, प्रिन्ट रिच वातावरण का उपयोग कांकेर जिले में किया जा रहा है। यहां के स्कूलों में माह के अंतिम शुक्रवार को पालक-बालक सम्मेलन आयोजित कर लर्निंग आउटकम अनुसार गुणवत्ता की जांच कर कमजोर बच्चों का स्तर सुधारने के प्रयास के बारे में जानकारी दी जाती है। अधिकारियों ने बताया कि अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की तरह शासकीय स्कूलों में टाई, बेल्ट, जूतेे की व्यवस्था शाला प्रबंधन समिति द्वारा की जा रही है। यहां की कुछ निजी शालाओं के विद्यार्थियों ने शासकीय शालाओं में प्रवेश लिया है।
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि जिले में निजी शालाओं की तर्ज पर बड़े शहरों की तरह अंग्रेजी माध्यम के सर्वसुविधायुक्त स्कूल खोला जाए और शिक्षक की नियुक्ति की जाए। वातावरण निर्माण के लिए शाला परिसर में शिक्षक और विद्यार्थी अंग्रेजी में ही बात करें। डॉ. शुक्ला ने कहा कि ऐसे शिक्षक जो अपनी शालाओें में बच्चों को अंग्रेजी सिखाना चाहते है, उनके लिए अप्रैल माह के अंत में इंग्लिश की ट्रेनिंग राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद में कराई जाएगी। शिक्षकों की परेशानी और मूल्यांकन बार-बार किए जाने पर उन्होंने कहा कि आगामी शैक्षणिक सत्र की कार्ययोजना वर्तमान में ही बना ली जाए, जिससे आगामी सत्र में शिक्षकों को शाला कैलेण्डर में बदलाव करने की जरूरत नहीं होगी।