सुनो खबर डेस्क। भोपाल

Covid 19 महामारी में लोग जहां है वहीं रुके हुए है। प्रशासन हर संभव मदद करने में नागरिकों का सहयोग कर रहा है तो लॉक डाउन के पालन में भी जनता शासन के निर्देशों का पालन करने में लगी हुई है। लॉक डाउन की वजह से पलायन को मजबूर श्रमिक गरीब वर्ग अपना कर्तव्य का पालन भी भले भांति कर रहे है। ऐसा ही एक वाक्य संग्यन में आया। राजस्थान के सीकर में एक गांव के प्राथमिक स्कूल में गुजरात मध्य प्रदेश  इत्यादि जगहों से आए मजदूरों को क्वॉरेंटाइन में रखा गया था।

उन मजदूरों ने देखा कि दो दशकों से स्कूल की पुताई सफाई नहीं हुई है। तब उन मजदूरों ने उस गांव के सरपंच के सामने उस स्कूल की पुताई सफाई करने का प्रस्ताव रखा जहां वो क्वॉरेंटाइन थे।

तुरंत ही पेंट, चूना, ब्रश इत्यादि का इंतजाम हुआ और उन मजदूरों ने अपने क्वॉरेंटाइन के दौरान पूरे स्कूल की शक्ल सूरत बदल दी और इसके लिए उन्होंने कोई पैसा नहीं लिया बल्कि सरपंच से कहा कि हम यहां पर हैं मुफ्त में खा रहे हैं तब हमारा फर्ज है कि हम कुछ न कुछ इस स्कूल को दें।

लॉक डाउन में ऐसी सेवा भाव स्थानीय प्रशासन और श्रमिको के बीच मिलना उन लोगो के लिए एक सबक है जो क्वॉरेंटाइन के दौरान सेंटर से भाग रहे है दूसरों की जिंदगी भी खतरे में डाल रहे है।