श्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए देश में लागू लॉक-डाउन के दौर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बचाने और ग्रामीणों की आजीविका को संरक्षित करने राज्य शासन व्यापक स्तर पर काम कर रही है। लॉक-डाउन में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के अंतर्गत ग्रामीणों को रोजगार देने में छत्तीसगढ़ अभी पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। देशभर में मनरेगा कार्यों में लगे कुल मजदूरों में से करीब 24 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से हैं। यह संख्या देश में सर्वाधिक है। प्रदेश की 9883 ग्राम पंचायतों में चल रहे विभिन्न मनरेगा कार्यों में अभी 18 लाख 51 हजार 536 श्रमिक काम कर रहे हैं।

केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मनरेगा कार्यों में अभी पूरे देश में 77 लाख 85 हजार 990 मजदूर संलग्न हैं। इनमें सर्वाधिक 18 लाख 51 हजार 536 मजदूर अकेले छत्तीसगढ़ से हैं, जो कुल मजदूरों की संख्या का करीब एक चौथाई है। इस सूची में 14 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ राजस्थान दूसरे और 12 प्रतिशत भागीदारी के साथ उत्तरप्रदेश तीसरे स्थान पर है। देशव्यापी लॉकडाउन के बावजूद मौजूदा वित्तीय वर्ष में भी पिछले वर्ष की ही तरह मनरेगा में प्रदेश का बेहतरीन प्रदर्शन लगातार जारी है।

प्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत सर्वाधिक रोजगार देने में राजनांदगांव, जाँजगीर-चाम्पा और महासमुन्द जिला शीर्ष पर हैं। राजनांदगांव में एक लाख 74 हजार 859, जाँजगीर-चाम्पा में एक लाख 39 हजार 995, महासमुन्द में एक लाख 28 हजार 896, कबीरधाम में एक लाख 25 हजार 330, मुँगेली में एक लाख 18 हजार 290, बिलासपुर में एक लाख 14 हजार 137, बालोद में एक लाख 10 हजार 082, बलौदाबाजार-भाटापारा में 90 हजार 985, बेमेतरा में 87 हजार 747, रायपुर में 82 हजार 297, धमतरी में 80 हजार 732, जशपुर में 64 हजार 323 और गरियाबंद में 63 हजार 969 मजदूर अभी काम कर रहे हैं। नारायणपुर में 9925 और बीजापुर जिले में 9257 श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।