अम्बिकापुर: छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा मत्स्य पालन में मिलने वाले अनुदान योजना से महिलाओं में ऐसी शक्ति का संचार हुआ जिससे कि लॉकडाउन के कठिन वक्त में भी इनकी आजीविका चलती रही और फली-फूली भी। सरगुजा जिले में अनेक डबरी, तालाबों में महिला स्व सहायता समूहों ने बड़े पैमाने पर मछली पालन किया और इसे बाजार तक ले गई। इसी कड़ी में अम्बिकापुर विकासखंड के ग्राम शिवपुर के प्रियंका आदिवासी मछुआ सहकारी समिति की 21 महिलाओं ने मिलकर एक बड़े तालाब में मत्स्य पालन का बीड़ा उठाया। सर्वप्रथम उन्होंने ग्राम पंचायत के 1.5 हेक्टेयर रकबे में बने तालाब को किराये में लिया। छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा मिलने वाले अनुदान राशि से उन्होंने तालाब में राहु, कतला, मिरगल, गरसकार मछली की बीज लगाई। उनकी यह कठिन साधना सही वक्त में काम आई। इस दौरान आसपास के गांव के लोगों को गांव में ही ताजा मछली मिलने लगी। मछली का उत्पादन अधिक होने से मछली को बाहर बाजार में भी सप्लाई किया गया। समिति के द्वारा तालाब से अब तक 5 क्विंटल मछली निकालकर बेचा गया है जिसकी कीमत लगभग 90 हजार रुपये है। शासन के द्वारा प्रियंका आदिवासी मछुआ सहकारी समिति को 1 लाख रुपये की अनुदान राशि मिला जिसमे मछली पकड़ने के लिए 8 महाजाल तथा मछली बीज शामिल हैं।
प्रियंका आदिवासी मछुआ सहकारी समिति की अध्यक्ष श्रीमती आरती तिग्गा ने बताया कि शासन से प्राप्त अनुदान के सहारे हम लोगों ने मत्स्य पालन को रोजगार का साधन बनाया। आज हम महिलाएं आत्मनिर्भर बन गए हैं तथा घर चलाने में अपना आर्थिक योगदान दे रहे हैं। समिति के सचिव श्रीमती रीता बेक ने बताया कि हमें शासन से प्राप्त अनुदान से बहुत लाभ प्राप्त हुआ है। हम आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हैं। मैं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देती हूं कि वह इस विषम परिस्थिति में मसीहा की तरह मजदूरों का आत्म विश्वास बढ़ाने में अपना योगदान दे रहे हैं। समिति की एक सदस्य श्रीमती रीना एक्का ने बताया कि मत्स्य पालन करके हमें खुशी मिलती है मत्स्य पालन के रूप में हमें स्वरोजगार मिला है। इससे हमें आर्थिक सहायता मिल जाती है। यह ग्राम विकास माडल देश के लिए बड़ी संभावनाएं पैदा करता है और आत्मनिर्भरता के लिए मिसाल कायम करती हैं। लॉकडाउन जैसे कठिन समय में भी लोगों को स्वरोजगार के माध्यम से आजीविका चलाने में सहायक सिद्ध हो रहा है।