जिले के अतिसंवेदनषील क्षेत्रो मे से एक कड़ेनार अत्यन्त दुर्गम पहाड़ियो एवं जंगलो के मध्य बसा एक जनजातिय ग्राम है इस गांव मे आधारभूत सुविधाओ की हमेषा से कमी रही है इस इलाके मे ग्रामीण पेयजल की उचित व्यवस्था ना होने के कारण सदियो से ग्रीष्मकाल मे पहाड़ो के मध्य बनी छोटी-छोटी प्राकृतिक झिरियों के गदें जल को पीने पर मजबूर हो जाते थे। ज्ञात हो की इन झिरियों का ग्रामीणो के अतिरिक्त मवेषियों एवं जानवरो के द्वारा भी पेयजल के रूप मे उपयोग किया जाता था। विगत दिनो सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाष बागड़े एवं कुछ पत्रकारों द्वारा इसकी जानकारी कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा को दी गई जिस पर त्वरीत कार्यवाही करने का आदेष कलेक्टर ने संबधित अधिकारियो को दिया। जिसका अनुपालन करते हुए नलकुप स्थापना दो दिन के अन्दर कराये जाने की की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। दुर्गम रास्तो के कारण ग्राम तक पंहुच पाना अत्यंत मुष्किल था पंरतु अस्थाई रास्तो का मषीनो की सहायता से निर्माण कर बोरिंग वाहन को गांव तक पंहुचाया गया। तत्पष्चात नलकुप खनन का कार्य चालू कराया जा सका। अतिंम जानकारी तक नलकुप खनन् का कार्य संपन्न होने के पश्चात हेण्डपंप स्थापना एवं चबुतरे का निर्माण प्रारंभ कर दिया था।
इस पर कार्यपालन अभियंता जेएल माहला ने बताया कि इस क्षेत्र मे चट्टानी संरचना एवं घने जंगलो के कारण यहां बोरिंग वाहनो का जा पाना मुष्किल कार्य था। ऐसे में बोरिंग वाहन को ले जाने के लिए रास्ते मे बड़े-बड़े गड्डो को पाटकर, बड़े-बड़े बोल्डरो को मार्ग से हटाकर तथा कुछ पेड़ो को भी इस स्थान तक पहुचने केे लिए काटना पड़ा। इस प्रकार एक अस्थाई मार्ग का निर्माण कर बोरिंग वाहन को कोकपाड़ तक पंहुचाया गया। विगत 7 जून को बोरिंग खुदाई का कार्य पूर्ण कर लिया गया था। आज कर्मचारियांे द्वारा स्थल पर चबुतरे एवं हेण्डपंप स्थापना का कार्य किया जा रहा है। जिसे आज ही पूर्ण कर लिया जायेगा।
कलेक्टर ने सांमाजिक कार्यकर्ताओं एवं पत्रकारो का जताया आभार
कलेक्टर ने सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं पत्रकार बंधु जिन्होने ग्रामीणो की मर्मआवाज प्रषासन तक पंहुचाने का कार्य किया उनका आभार व्यक्त किया साथ ही उन्होने कहा कि अतिसंवेदनषील क्षेत्रो तक विकास कार्यो को ले जाना प्रषासन की प्राथमिकता रही है बेचा एवं कड़ेनार मे बारहमासी सड़को, स्वास्थ्य एवं षिक्षा के क्षेत्रो मे भी विषेष प्रयत्न आगामी दिनो मे किये जायेगें।