संचालनालय संस्कृति एवं पुरातत्व, महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय, रायपुर परिसर स्थित सभागार में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन राम वन गमन के दौरान भगवान श्रीराम के छह विश्राम स्थलों पर शोध आलेख का पठन किया गया। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत कौशल्या के राम भजन श्री राकेश तिवारी एवं लव-कुश जन्म तथा प्रसंग लोक नाट्य की श्री मुरली साहू एवं साथियों द्वारा प्रस्तुति दी गई।
संगोष्ठी की शुरूवात डॉ. शोभा निगम ने राम वन गमन के दौरान भगवान श्रीराम के छह विश्राम स्थलों पर शोध आलेख का पठन किया। डॉ. योगेन्द्र प्रताप ने कहा की भाषा और धर्म एक होना चाहिए, लेकिन हमारी देश में कई भाषा और कई धर्म होने के वाउजूद भी अनेकता में एकता है। उन्होंने कहा कि राम भारतीय संस्कृति के पर्याय हैं, श्रीराम ने मानव धर्म पर अपनी कर्म को पहला स्थाना दिया था। इस बीच डॉ. पी. सी.लाल यादव द्वारा लिखित छत्तीसगढ़ के लोक संगीत पुस्तक का विमोचन किया गया।
संगोष्ठी का शुभारंभ वनबल प्रमुख श्री राकेश चतुर्वेदी ने किया। श्री चतुर्वेदी ने कोरिया जिले के सीतामढी से लेकर बस्तर के रामाराम तक 1130 किलोमीटर की यात्रा के विषय में जानकारी दी और कहा कि विश्व में 40-50 तरह की रामायण लिखी गई है। सभी में दण्डकारण्य का उल्लेख किया गया है। द्वितीय सत्र में श्री शैलेष मिश्रा ने रामकोठी के नामकरण पर नंदी प्रथा पर अपने वक्तव्य दिए । श्री ललित शर्मा  ने रामनामी संप्रदाय पर अपने वक्तव्य प्रस्तुत किया। छत्तीसगढ़ में राम मूर्त -अमूर्त स्वरूप पर डॉ. पीयूष कुमार पांडेय, डॉ. अनंदमूर्ति मिश्रा, श्री कोविंद पटेल, डॉ. पी. सी. लाल यादव एवं श्री अशोक तिवारी आदि विषय विशेषज्ञों ने राम पर आधारित आलेख का पठन किया।