कलेक्टर ,संचालक स्वास्थ्य सेवाएं और राज्य नोडल अधिकारी की निजी चिकित्सालयों के संचालकों के साथ वर्चुअल बैठक

रायपुर कलेक्टर की अपील: कोरोना के कठिन समय , मेडिकल एथिक्स के अनुरूप हो कार्य

वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से आज कलेक्टर डाॅ एस भारतीदासन ,संचालक स्वास्थ्य सेवाएं श्री नीरज बंसोड और रेमडीसिवर इंजेक्शन आपूर्ति के लिए राज्य नोडल अधिकारी श्री हिमशिखर गुप्ता ने आज रायपुर जिले के निजी हॉस्पिटल के संचालकों से बातचीत की।

बैठक में बताया गया कि रायपुर जिले में रेमडेसीविर और ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ी है, इसमें निरंतर सुधार आ रहा है और बहुत जल्द और अधिक सुधार आने की संभावना है । राज्य का कोटा 48 हजार से बढ़कर 75 हजार हो गया है । इसी तरह मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई में भी काफी सुधार आया है।

बैठक में निजी चिकित्सालयों के संचालकों से अनुरोध किया गया कि उनके चिकित्सालय में भर्ती कोरोना मरीजों तथा खाली बेड की जानकारी को पोर्टल के माध्यम से लगातार अपडेट करते रहे, अगर अनुमति से भी अधिक मरीज चिकित्सालय में भर्ती है या भर्ती करने की जरूरत है , तो इसके लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को तत्काल सूचित कर अनुमति ले, जिससे जरूरत के अनुसार उन्हें रेमडीसीवर और ऑक्सीजन की आपूर्ति व्यवस्थित रूप से हो सके।

बैठक के प्रारंभ में श्री नीरज बंसोड ने कहा कि राज्य शासन द्वारा आयुष्मान कार्ड के साथ-साथ अन्य करोना मरीजों के लिए सामान्य ऑक्सीजन बेड, ऑक्सीजन युक्त बेड और आईसीयू बैड के रेट निर्धारित किए हैं। ये रेट सुटेबल है और आई एम ए जैसे संस्थाओं से विचार- विमर्श के बाद तय किये गये है लेकिन अभी भी कुछ चिकित्सालयों से मरीजों से अधिक रेट लिए जाने की शिकायतें प्राप्त हो रही है । इसी तरह एंबुलेंस के माध्यम से भी अधिक पैसों की मांग करने और बिल भुगतान नहीं होने की स्थिति में डेड बॉडी को रोकने जैसी शिकायतें भी मिली है ।

उन्होंने कहा कि शिकायतों की जांच के लिए राज्य में टीम भी बनाई गई है। वर्तमान समय में मोबाइल आदि के माध्यम से ऐसी शिकायतें वीडियो आदि के माध्यम से भी की जाती है।

उन्होंने बताया कि रेनडिसीवर इंजेक्शन का उपयोग डे केयर और ओपीडी के मरीजों को नहीं करना है लेकिन इसके बावजूद कई डॉक्टर इसका प्रिसक्रिप्शन लिख रहे हैं।उन्होंने कहा मेडिकल कॉलेज रायपुर में इस संबंध में अच्छी व्यवस्था की गई है । सीनियर डाक्टर द्वारा मरीज के कंडीशन के अनुसार रेमडिसीविर इंजेक्शन की मांग का आकलन किया जाता है ,उसके बाद ही यह दवाई दी जाती है । ऐसी ही व्यवस्थाएं हर चिकित्सालय में की जानी चाहिए और इसके लिए नोडल पर्सन बनाना चाहिए ‌।

कलेक्टर डॉ भारतीदासन ने कहा कि कोरोना के समय मे चिकित्साकर्मी और चिकित्सक 24 घंटे की महत्वपूर्ण सेवाएं दे रहे लेकिन हमें यह भी देखने की जरूरत है कि कई बार कोरोना के मरीज और उनके परिजन सदमे की स्थिति में रहते हैं । ऐसी समय मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े लोगों के लिए और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है कि वे क्राइसिस को समझ कर मेडिकल एथिक्स के अनुरूप कार्य करें। उन्होंने कहा कि मरीजों से अधिक रेट लेने जैसी शिकायतों से जनता के बीच गलत मैसेज जाता है। यह एक कठिन दौर है और इसमें सभी से पूरे सहयोग की अपेक्षा रहती है।

कंट्रोल रूम में कोरोना मरीजों से मिलने वाली शिकायतों को दर्ज करने के लिए एक नंबर सुरक्षित रखा जाएगा

कलेक्टर डॉ भारतीदासन ने कहा कि जिले के कंट्रोल रूम में कोरोना मरीजों से मिलने वाली शिकायतों को दर्ज करने के लिए एक नंबर सुरक्षित रखा जाएगा जिससे जरूरत पड़ने पर मरीज अपनी समस्या और शिकायत को दर्ज करा सकें।

कलेक्टर ने कहा कि पिछले 10 दिनों से चिकित्सालयों द्वारा चाहा गया रेमडीसीवर इंजेक्शन का पर्याप्त स्टाक दिया जा रहा है, ऐसे में डॉक्टरों द्वारा प्रिसक्रिप्शन लिख बाहर से रेमरडिसीवर की मांग करने का क्या औचित्य है ? उन्होंने रेमडिसीवर इंजेक्शन के हर वाइल की मानिटरिग करने और उसे सुरक्षित रखने को कहा। उन्होंने कहा कि रायपुर जिले में विगत दिनों एक चिकित्सालय में हुए फायर एक्सीडेंट की जांच की जा रही है । इसी तरह अन्य चिकित्सालय में भी फायर फाइटिंग व्यवस्था की जांच की जा रही है। उन्होंने चिकित्सालय के संचालकों से कहा कि वे अपने चिकित्सालय में ऐसे साधन और व्यवस्था बनाकर रखें कि जिससे किसी भी अनहोनी होने पर वे दुर्घटना को अच्छे से मैनेज कर सकें।

कलेक्टर ने कहा कि रायपुर जिले में पिछले 15 दिनों में 4 हजार मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर को बढ़ाकर आठ हजार कर दिया गया है और जिले में ऑक्सीजन सप्लाई अब काफी बेहतर हो गई है । उन्होंने कहा कि चिकित्सालय अपने बेड और भर्ती मरीजों के आधार पर मेडिकल ऑक्सीजन की व्यवस्था और जरूरत की सही जानकारी दें, जिससे आक्सीजन सप्लाई व्यवस्था को और बेहतर बनाया जा सके ।

राज्य नोडल अधिकारी  हिमशिखर गुप्ता ने कहा कि रेमडेसीविर इंजेक्शन को पहले जिलावार फिर हॉस्पिटलवार वितरित किया जा रहा है। यह ध्यान रखा जा रहा है कि छोटे हॉस्पिटलों को भी इसकी आपूर्ति हो सके। चिकित्सकों को ध्यान रखना होगा कि चिकित्सालय के बाहर इसका प्रिसक्रिप्शन लिखकर मरीजों से यह दवाई नहीं मांगी जाए। सॉफ्टवेयर पोर्टल के माध्यम से भी इसका ऑनलाइन एंट्री करना और रिकॉर्ड मेंटेन करना जरूरी है। जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा इसकी रेंडम जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य का कोटा बढ़ा है और दो-तीन दिन में रेमडीसीवर दवाई की सप्लाई और बेहतर होने की उम्मीद है।

श्री बंसोड ने यह भी कहा कि चिकित्सालय में ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था को दुरुस्त रखने की भी जरूरत है, जिससे यह लीक होने से बचे तथा इसके समुचित उपयोग के साथ भविष्य के लिए इसे सुरक्षित रखा जा सके।

डॉ खेमका ने कहा- चिकित्सालय की ऑक्सीजन व्यवस्था अच्छे से मैनेज हो रही है .

वर्चुअल बैठक में निजी चिकित्सालय के संचालकों ने भी अपनी बात कही। डॉ खेमका ने बताया कि उनके चिकित्सालय को 800 से 900 सिलेंडर प्राप्त हो रहे हैं और इससे चिकित्सालय की ऑक्सीजन व्यवस्था अच्छे से मैनेज हो पा रही हैं। उन्होंने बताया कि चिकित्सालय के वेंटिलेटर तथा आईसीयू के मरीजों के लिए रेमडिसीविर दवाइयों की काफी आवश्यकता पडती है। रामकृष्ण चिकित्सालय के डॉ संदीप दवे ने बताया कि कई बार मरीजों द्वारा चिकित्सालय की अनावश्यक शिकायतें की जाती है । ऐसी शिकायतों की जांच के समय दोनों पक्षों की बातों को सुना जाना चाहिए, नहीं तो चिकित्साकर्मी हतोत्साहित होते हैं।

एम एम आई हॉस्पिटल के डॉ नवीन शर्मा ने कहा , चिकित्सालय की लिक्विड ऑक्सीजन सप्लाई व्यवस्था अच्छी है

एम एम आई हॉस्पिटल के डॉ नवीन शर्मा ने कहा कि चिकित्सालय की लिक्विड ऑक्सीजन सप्लाई व्यवस्था अच्छी है । इसी तरह भर्ती मरीजों की एक्सल शीट की माध्यम से सही और पूरा विवरण लिखने का प्रयास किया जा रहा है। डॉ आकाशदीप द्वारा एजेंसी द्वारा ऑक्सीजन सप्लाई से असमर्थता व्यक्त करने की शिकायत पर कलेक्टर ने कहा कि अनुविभागीय दंडाधिकारी के माध्यम से इस समस्या का समाधान किया जाएगा।