कलेक्टर डोमन सिंह के निर्देश पर बरसात में होने वाले गलघोंटू एवं एकटंगिया भूजन्य संक्रामक रोग से पशुओं को बचाने के लिए जिले में सघन टीकाकरण कार्यक्रम 01 जून 2021 से प्रारंभ किया गया है। जो आगामी 30 जून 2021 तक चलेगा। पशु चिकित्सा सेवाएं के उपसंचालक डॉ. डी.डी.झारिया ने बताया कि महासमुन्द जिले में 75 प्रतिशत पशुओं में टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना गरूवा कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के गौठान ग्रामों में शत-प्रतिशत पशुओं में टीकाकरण किया जाएगा। जिसमें विकासखण्ड महासमुंद में 69 हजार 185 पशुधन गलघोटू टीकाकरण के लिए लक्षित है वहीं एकटंगिया टीकाकरण के लिए 36 हजार 932 पशुओं का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस कार्य के लिए 39 अमलांे को जिम्मेदारी दी गई है। इसी प्रकार विकासखण्ड बागबाहरा में गलघोंटू टीकाकरण के लिए 61 हजार 431 पशुधन वहीं एकटंगिया टीकाकरण के लिए 32 हजार 718 पशु लक्षित है एवं 23 अमलों को जिम्मेदारी दी गई है।
इसी प्रकार विकासखण्ड पिथौरा में गलघोंटू टीकाकरण के लिए 51 हजार 122 एवं एकटंगिया टीकाकरण के लिए 27 हजार 187 पशुओं का टीकाकरण लक्ष्य निर्धारित करते हुए 34 मैदानी अमलों को तैनात किया गया है। बसना विकासखण्ड में गलघोंटू टीकाकरण 28 हजार 626 एवं एकटंगिया टीकाकरण के लिए 15 हजार 270 पशु लक्षित है। जिसमें 27 अमलें इस कार्य को पूर्ण करेंगे। इसी प्रकार सराईपाली विकासखण्ड में गलघोंटू टीकाकरण 35 हजार 636 एवं एकटंगिया टीकाकरण 18 हजार 893 पशुओं का लक्ष्य निर्धारित है। यहां 24 अमलांे को तैनात किया गया है। जिले में 226 गौठान ग्राम है जहॉ शत-प्रतिशत पशुओं में टीकाकरण करने लक्ष्य निर्धारित है। इस प्रकार कुल दो लाख 46 हजार पशुओं को गलघोंटू एवं एक लाख 31 हजार एकटंगिया टीकाकरण किया जाएगा। 01 जून से 16 जून 2021 तक गलघोटू के 24 हजार 486 एवं एकटंगिया के 29 हजार 166 टीकाकरण किया जा चुका है। ज्ञात हो कि गलघोंटू बीमारी में तेज बुखार, गले में सूजन, निमोनिया, नाक से स्राव, फिर 24 घंटे के भीतर दम घुटने से 70 प्रतिशत पशुओं की मृत्यु हो जाती है। जिसमें वयस्क एवं भैसवंशीय पशु अधिक प्रभावित होते हैं। इसी प्रकार एकटंगिया रोग से चार साल तक के उम्र के बछड़े बछिया पाड़े पड़िया अधिक प्रभावित होते हैं। जिससे 70 प्रतिशत पशुओं की मृत्यु हो जाती है। इस रोग में तेज बुखार, किसी भी एक पैर या कूल्हे के आसपास सूजन दबाने पर चुर्र-चुर्र की आवाज आती है। 24 घंटे के भीतर मृत्यु हो जाती है। छोटे उम्र के पशु ज्यादा प्रभावित होते है। ये छूतदार संक्रामक बीमारी है। इसके प्रकोप होने से कृषकों का कृषकों को काफी आर्थिक क्षति पहंुचती है। कृषकों को इस क्षति से बचाने के लिए जिले में सघन टीकाकरण कार्यकम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए जिले के कृषक पशुपालक बंधुओं से अपील की गई है।