मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने शनिवार को इंदौर शहर में प्रधानमंत्री मोदी की वर्चुअल उपस्थिति में एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट लोकार्पण कार्यक्रम में ग्रामीण गौपालकों से गोबर खरीदी की घोषणा जैसे ही की वैसे ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गौ धन न्याय योजना की चर्चा फिर से होने लगी।
आईये जानते है कि क्या है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गौ धन न्याय योजना –
छत्तीसगढ़ गोधन न्याय योजना को राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 20 जुलाई 2020 को किसानो / पशुपालको को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू की गयी है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा गाय पालने वाले पशुपालक किसानो से गाय का गोबर ख़रीदा जा रहा है । इस योजना के तहत पशुपालक से ख़रीदे गए गोबर का उपयोग सरकार वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के लिए करेगी। इस योजना में राज्य के 2240 से अधिक गोशालाओं को जोड़ा गया है। 2800 गठनों का निर्माण कर गोबर खरीदी प्रक्रिया संचालित है । गाय का गोबर कई तरह के काम में आता है। इसके माध्यम से अच्छा इंधन तैयार होता है। इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गाय का गोबर 2 रूपये प्रति किलो की दर से ख़रीदा जा रहा है । गौ संरक्षण का कार्य भी अब तेजी ला रही है।
गोबर से किया जाएगा बिजली उत्पादन
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ गौधन न्याय योजना के अंतर्गत खरीदे गए गोबर से बिजली बनाने का कार्य किया जाएगा। इस कार्य को करने की पूरी व्यवस्था कर ली गई है और जल्द इस कार्य को आरंभ कर दिया जाएगा। इस बात की जानकारी खुद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 22 सितंबर 2021 को पत्रकारों से साझा की गई है। छत्तीसगढ़ में अब ग्रीन एनर्जी का उत्पादन किया जाएगा। जिससे कि पर्यावरण को भी लाभ पहुंचेगा एवं स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी लाभ होगा। इसके अलावा इस फैसले से किसानों, युवाओं एवं उद्योगों को भी लाभ पहुंचेगा। गोबर से बिजली बनाने का निर्णय ग्लोबल वार्मिंग की बढ़ती दर को देखते हुए लिया गया है। पिछले 1 साल में इस योजना के माध्यम से 50 लाख क्विंटल से अधिक गोबर की खरीदी की गई है।
अब तक इस योजना के माध्यम से सरकार द्वारा 127.79 करोड़ रूपए से अधिक की गोबर खरीद की जा चुकी है। गोबर का इस्तेमाल वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए भी किया जाता है।
छत्तीसगढ़ सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में से महत्वपूर्ण सुराजी गांव योजना के गरूवा घटक के तहत अब तक राज्य में निर्मित एवं सक्रिय रूप से संचालित 8119 गौठानों में से 2549 गौठान स्वावलंबी हो गए हैं। स्वावलंबी गौठान गोबर खरीदी से लेकर वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण के लिए स्वयं के पास उपलब्ध राशि का उपयोग करने लगे हैं। रायगढ़ जिले में सर्वाधिक 279 गौठान स्वावलंबी हुए है। दूसरे नंबर राजनांदगांव जिले में 207 तथा तीसरे क्रम पर महासमुन्द एवं कोरबा जिला है, जहां 170-170 गौठान स्वावलंबी हुए हैं।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार गरियाबंद जिले में 25, धमतरी में 80, बलौदाबाजार में 84 तथा रायपुर जिले में 75, कबीरधाम में 141, दुर्ग में 143, बालोद में 67, बेमेतरा में 22, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में 25, जांजगीर-चांपा में 160, बिलासपुर में 82, मुंगेली में 67, कोरिया में 73, जशपुर में 75, बलरामपुर में 80, सरगुजा में 79, सूरजपुर में 56, कांकेर में 105, कोण्डगांव में 46, दंतेवाड़ा में 55, नारायणपुर में 7, बस्तर में 102, बीजापुर में 22 तथा सुकमा जिले में 52 गौठान स्वावलंबी बन चुके हैं।
राज्य में पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा अब तक 10591 गांवों में गौठान के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। जिसमें से 8119 गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है और वहां पर गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण सहित अन्य आयमूलक गतिविधियां संचालित हो रही है। वर्तमान में 2103 गौठानों का तेजी से निर्माण कराया जा रहा है शेष 369 गौठानों के निर्माण का कार्य अभी शुरू कराया जाना है। गौठानों में पशुधन के देखरेख, चारे-पानी एवं उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
इस योजना की सफलता की चर्चा पूरे देश में की जा रही है। प्राप्त एक आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ गोधन न्याय योजना के माध्यम से प्राप्त हुए गोबर से करीब 118611 क्विंटल खाद का उत्पादन किया गया है। इसमें से 83900 क्विंटल खाद अब तक बेची जा चुकी है। अब तक इस योजना के माध्यम से प्रदेश के लगभग 162497 पशुपालकों को लाभ पहुंचा है। इन 162497 पशुपालकों में से 70299 भूमिहीन पशुपालक थे। इस योजना के कुल लाभार्थियों में से 44.55% लाभार्थी महिला है। अब तक इस योजना के माध्यम से 44 लाख क्विंटल गोबर पशुपालकों से खरीदा जा चुका है। सरकार द्वारा गोबर खरीद का पैसा सीधे पशुपालकों के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से पहुंचाया जाता है। गोबर विक्रेताओं को गोबर खरीदी शुरू होने से लेकर अब तक 127 करोड़ 79 लाख रूपए राशि का भुगतान किया जा चुका है। इसी प्रकार इस योजना के शुरू होने से लेकर अब तक स्व-सहायता समूहों और गौठान समितियों को कुल 79 करोड़ 39 लाख रूपए की भुगतान किया जा चुका है।
प्रदेश में स्वीकृत 10 हजार 591 गौठानों मं 7933 गौठान निर्मित हो चुके हैं तथा 2300 गौठान निर्माणाधीन है तथा 2549 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि जनवरी और फरवरी माह में किसानों ने गौठानों में लगभग 31.35 करोड़ रूपए की लागत का 15 लाख 67 हजार क्विंटल से अधिक पैरादान किया है। गोधन न्याय योजना के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. एस. भारती दासन ने गौठानों में जैविक गुलाल और पूजन सामग्र्री के उत्पादन के लिए आज किए गए एमओयू के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस योजना का विस्तार रायपुर और दुर्ग जिले के 5-5 गौठानों में किया जा रहा है, जहां 75-75 महिला स्व-सहायता समूह के सदस्यों द्वारा जैविक गुलाल और पूजन सामग्री तैयार की जाएगी। उन्होंने बताया कि आगामी एक वर्ष में लगभग 100 मेट्रिक टन जैविक गुलाल तैयार किया जाएगा, जिसकी कीमत 1.50 से 2 करोड़ रूपए होगी। इसी प्रकार 2 से 3 करोड़ रूपए मूल्य की 100 मेट्रिक टन पूजन सामग्री इन गौठानों में तैयार की जाएगी। महिलाओं को दैनिक पारिश्रमिक के अलावा उत्पादों को विक्रय से अर्जित आय का 5 प्रतिशत लाभांश के रूप में दिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ गोधन न्याय योजना का उद्देश्य
पशुपालको की आय कुछ ज्यादा नहीं होती जिसकी वजह से वह अपने पशुओ को अच्छा चारा नहीं खिला पाते और कुछ लोग अक्सर पशुओं का दूध निकाल उन्हे खुला छोड़ देते हैं, जिसके गांव तथा शहरों में गोबर यूं ही पड़ा रहता है, जिससे गंदगी भी फैलती है। इसे सभी समस्याओ को देखते हुए राज्य सरकार ने इस छत्तीसगढ़ गोधन न्याय योजना को शुरू किया है गोधन न्याय योजना के ज़रिये सरकार गाय पालने वाले किसानो की गाय का गोबर खरीदेगी। जिससे पशुपालको की आय में भी वृद्धि होगी और गाय का गोबर भी व्यर्थ नहीं जायेगा। इस योजना के माध्यम से पशुपालकों की आय में वृद्धि होने से पशुओं को उनके पशुपालन में ही रखा जायेगा, जिससे कि पशुओं को इधर-उधर चरने की भी जरुरत नहीं होगी।