राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने गत दिवस बिलासपुर के कोटा में स्थित डॉ सी.वी. रमन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय रामन लोककला महोत्सव  का शुभारंभ किया।  मुख्य अतिथि की आसन्दी से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुश्री उइके ने कहा कि आदिवासी कला एवं संस्कृति से छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान है। लोक कला महोत्सव के आयोजन से छत्तीसगढ़ की विविध लोक कलाओं और संस्कृतियों को मंच मिलता है।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि डॉ सी वी रामन विश्वविद्यालय ऐसे आयोजनों के माध्यम से आदिवासी कला संस्कृति, साहित्य, परंपराओं को बड़ा मंच दे रहा है और ऐसे आयोजन से ही वह विश्व पटल पर अपना स्थान पहचान बना सकेंगे। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात  है कि आज देश-विदेश में आदिवासी संस्कृति को स्वीकार किया जाता है।  वैश्विक स्तर पर आदिवासी संस्कृति की एक अलग पहचान बन चुकी है। उन्होंने कहा विश्व स्तरीय आदिवासी महोत्सव जैसे आयोजनों से पूरी दुनिया में छत्तीसगढ़ संस्कृति की  महक फैल गई है द्य छत्तीसगढ़ संस्कृति की महक हर किसी को आकर्षित करती है। छत्तीसगढ़ का संगीत मधुर और हृदय को छू लेने वाला है,जिससे हर व्यक्ति मंत्रमुग्ध हो जाता है। यहां के आदिवासी बहुत ही भोले-भाले हैं, छल कपट से हमेशा दूर रहते हैं। ऐसे समाज के उत्थान के लिए, उन्हें मंच प्रदान करने के लिए, उन्हें वैश्विक स्तर तक स्थापित करने के लिए डॉ. सी. वी. रामन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित लोक कला महोत्सव एक सराहनीय पहल है।
सुश्री उइके ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आये लोक कलाकारों के नृत्य का भी आनंद लिया। तमनार से आए जनकराम और साथियों ने कर्मा नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में कोंडागांव के कलाकारों ने ककसाड़ नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी।