विशिष्ट अधिगम अक्षमता पर वेबीनार का हुआ आयोजन

विशेषज्ञ मास्टर ट्रेनरो द्वारा लर्निंग डिसेबिलिटी दूर करने दिया गया प्रशिक्षण

गौरेला पेंड्रा मरवाही 2 जुलाई 2022/ कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी के मार्गदर्शन में शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लिए आज विशिष्ट अधिगम अक्षमता पर कलेक्ट्रेट परिसर के अरपा सभाकक्ष में वेबीनार के माध्यम से शिक्षकों और विभागीय अधिकारियों का वर्चुअल उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयो​जन किया गया। इस कार्यक्रम में डॉ. नंदिनी सिंह चटर्जी (सीनियर नेशनल प्रोग्राम ऑफिसर, यूनेस्को) , डॉ. इंदुमति राव (एडवाइजर—सीबीआर नेटवर्क, साउथ एशिया रीजन), सुश्री मसर्रत खान (सीईओ— महाराष्ट्र डिस्लेक्सिया एसोसिएशन), सुश्री ललिता रामानुजन (फांउडर, अल्फा टू ओमेगा इंडिया), प्रोफेसर रामा एस. (विशेष शिक्षा के पूर्व प्राध्यापक—एनसीईआरटी मैसूर), डॉ. जयंती नारायण (पूर्व डिप्टी डायरेक्टर—एनआईईपीआईडी), श्रीमती केट कुरावाला (अध्यक्ष— महाराष्ट्र डिस्लेक्सिया एसोसिएशन), डॉ. गीत ओबेरॉय (फांउडर, आरकिड्स दिल्ली), श्रीमती नूपुर झुंझनूवाला, डॉ. रेणु मालवीय (प्रोफेसर—दिल्ली विश्वविद्यालय) एवं सुश्री ऋतु सैन (सीईओ— नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी एवं पूर्व डायरेक्टर—स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, भारत सरकार) आदि प्रतिष्ठित व विशेषज्ञ मास्टर ट्रेनर के द्वारा लर्निंग डिसेबिलिटी पर प्रशिक्षण दिया गया। इसके साथ ही सुश्री जूही जैन व श्री अरूण फर्नाडीज (सलाहकार) द्वारा कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग प्रदान​ किया गया। कार्यक्रम में कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी ने आमंत्रित वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि विशेषज्ञों के माध्यम से प्रदान किया जाने वाला यह प्रशिक्षण कोविड—19 महामारी के कारण विगत लगभग 2 वर्षों तक स्कूलों में आफलाइन कक्षाओं के बाधित होने से विद्यार्थियों के सीखने की क्षमता में आयी कमी व इस चुनौती के प्रति शिक्षकों की समझ विकसित करने एवं विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से सार्थक व प्रभावी होगा। इस अवसर पर प्रशिक्षकों ने बताया कि हर प्रकार के विशिष्टता की अपनी प्रकृति होती है और उस प्रकृति के अनुकूल ही हमें शिक्षण अधिगम प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। प्रशिक्षकों ने कहा कि यह आवश्यक है कि हम विशिष्ट बालकों के विभिन्न प्रकार को जाने एवं समझें और उनकी समस्या के अनुरूप उनका विकास करने में सहयोग करें। इस अवसर पर अधिगम अक्षमता का अन्य प्रकार की अक्षमताओं से जैसे मानसिक मंदता, स्लो लर्निंग, शैक्षिक पिछड़ापन आदि से अंतर को भी स्पष्ट किया गया।

प्रशिक्षकों द्वारा विशिष्ट बालकों में पाई जाने वाली विभिन्न समस्याओं जैसे डिस्लेक्सिया (पढ़ने संबंधी विकार), डिस्ग्राफिया (लेखन संबंधी विकार), डिस्कैलकूलिया (गणितीय कौशल संबंधी विकार), डिस्फैसिया (वाक् क्षमता संबंधी विकार), डिस्प्रैक्सिया (लेखन एवं चित्रांकन संबंधी विकार), डिसऑर्थोग्राफ़िय (वर्तनी संबंधी विकार), ऑडीटरी प्रोसेसिंग डिसआर्डर (श्रवण संबंधी विकार), विजुअल परसेप्शन डिसआर्डर (दृश्य प्रत्यक्षण क्षमता संबंधी विकार), सेंसरी इंटीग्रेशन ऑर प्रोसेसिंग डिसआर्डर (इन्द्रिय समन्वयन क्षमता संबंधी विकार) एवं ऑर्गेनाइजेशनल लर्निंग डिसआर्डर (संगठनात्मक पठन संबंधी विकार) के संबंध में विस्तार से चर्चा करते हुए इसके समाधान से प्रशिक्षणार्थियों को अवगत कराया गया। इस प्रशिक्षण को अधिक से अधिक उपयोगी बनाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी श्री मनोज रॉय द्वारा हाईस्कूल, हायर सेकेंडरी स्कूल व संकुल केंद्रों का चिन्हांकन कर 155 केंद्र बनवाये गए थे, जिसके माध्यम से जिले के 2659 विभागीय अधिकारी, संस्था प्रमुख व शिक्षक इस प्रशिक्षण में सहभागी बने। इस प्रशिक्षण के बाद जिले के विद्यार्थियों में से विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का भी चिन्हांकन कर उन्हें तीव्र गति से सीखने के अवसर उपलब्ध कराये जांएगे।

(गौरेला से चंदन अग्रवाल)