पेपर और प्लास्टिक बैग की पैकिंग के लिए छोटे निर्माता ज्यादातर स्टेपल पिन का इस्तेमाल करते हैं। पिन धातु की बनी होती है। खाने-पीने की चीजों के संपर्क में आने के बाद पिन नुकसानदेह हो सकती है। कई बार पिन में जंग लग जाती है। जंग लगी जगह पर रोगाणु जन्म लेते हैं। पिन ढीली होने पर खान-पान की चीज में जा सकती है। ऐसे में यह गले में फंस सकती है। एफएसएसएआई ने इस संबंध में 27 जून को निर्देश जारी किए हैं। अब प्रदेश में खाद्य एवं औषधि प्रशासन प्लास्टिक व पेपर बैग में खान-पान की चीजें पैक करने वाले उत्पादकों व विक्रेताओं को जागरूक करेगा। बता दें कि एफएसएसएआई ने जनवरी से इस पर सख्ती करने की तैयारी शुरू थी।

डॉक्टरों ने बताया कि टी-बैग में उपयोग होने वाले कुछ कागजों में एपीक्लोरो हाइड्रीन रहता है। यह नुकसान करने वाला रसायन है। टी-बैग को ज्यादा देर तक पानी में डुबो कर रखने से यह रसायन पानी में घुल जाता है। इससे पेट की बीमारियां व फेफड़े का कैंसर होने का खतरा रहता है।स्टेपल पिन से खान-पान की चीजों की सही तरीके से पैकिंग नहीं हो पाती। ऐसे में चीजों में नमी पहुंचने से उनके खराब होने का डर रहता है। स्टेपल पिन पर जंग लगने से रोगाणु जन्म लेते हैं। पिन निकलकर गले में फंसने का डर भी रहता है। अस्पतालों में इस तरह के केस भी आ चुके हैं। कुछ पैकिंग पेपर में एपीक्लोरो हाइड्रीन होता है, जो नुकसानदेह है।

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