रायपुर। छत्तीसगढ़ को कुपोषण मुक्त बनाने की जंग में सुरक्षित (संस्थागत) प्रसव पर भी जोर दिया जा रहा है। सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं की पहल का ही यह नतीजा है कि राज्य में संस्थागत प्रसव की दर 14.3 से बढ़कर करीब 74 फीसद तक पहुंच गई है।
इससे सरकारी अस्पतालों में प्रसव की दर में करीब 55 फीसद से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसका सीधा असर कुपोषण की दर पर पड़ा और उसमें लगातार कमी दर्ज की जा रही है।
आंगनबाड़ी केंद्रों की भूमिका अहम
कुपोषण के खिलाफ जंग में आंगनबाड़ी केंद्रों की सबसे अहम भूमिका है। राज्य में करीब 50 हजार आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इन केंद्रों में वर्ष 2003-04 में लगभग 17 लाख 50 हजार गर्भवती और शिशुवती माताओं तथा नन्हें बच्चों को प्रतिदिन पौष्टिक आहार दिया जा रहा था, वहीं वर्ष 2017 में यह संख्या बढ़कर 27 लाख और अब 35 लाख के करीब पहुंच गई है।