GPM ( पेंड्रा रोड) : प्राकृतिक और 100 प्रतिशत ऑक्सीजन जोन वाला प्रदेश का नव गठित जिला गौरेला पेन्ड्रा मरवाही के लिए सेंटर पॉइंट गुरुकुल परिसर में जिस प्रकार से अंधाधुंध वृक्षो की कटाई चल रही है कहीं उससे वहाँ की हरियाली जो उसकी पहचान है कहीं खो नहीं जाएँ I गुरुकुल विद्यालय सेनेटोरियम परिसर जिसका अपना आज भी ऐतिहासिक महत्व है। जहां प्राकृतिक हरियाली और औषधिय मह्त्व की प्राकृतिक रचना के लिए 100 वर्षों से अधिक प्रचलित होने कारण यहां दूर-दूर से लोग इलाज के साथ साथ पर्यटन के लिए आया करते है। राष्ट्र-गान रचियता गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर भी अपनी पत्नी का टीबी का इलाज कराने इसी सेनेटोरियम अस्पताल गुरुकुल परिसर में आए थे जहां के आसपास के वृक्षों की कटाई की जा रही है। अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान पेन्ड्रा रोड के इसी गुरुकुल सेनेटोरियम अस्पताल में बने गेस्ट हाउस में वीवीआईपी आगमन रहा है जो यहां के हरे – भरे वृक्षों में रहकर यहां की आबोहवा की तारीफे करते है I

8 वृक्षों को काटने की अनुमति एसडीएम ने दी है प्राप्त सूत्रों के अनुसार : बहेरा, आम, इमली के 8 वृक्षों को काटने की अनुमति पेण्ड्रारोड के एसडीएम ने पीडब्ल्यूडी के एसडीओ को दिया है, जिसके बाद हरे भरे वृक्षों की कटाई शुरु कर दी गई है। मौके पर 8 से कहीं ज्यादा पेड़ काट दिए गए हैं, वहीं 400 साल पुराने उस बरगद को भी काटने की तैयारी है जिसके बारे में कहा जाता है कि इस वृक्ष के नीचे गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर बैठा करते थे।स्थानीय विरोध के कारण वन विभाग की गाड़ी से कटे वृक्षों की ढुलाई की जा रही है I

मरवाही वन मण्डल के डीएफओ सत्यदेव शर्मा ने बताया है कि उन्हें पेड़ कटाई की जानकारी नहीं है।नागरिकों का आरोप है कि यहां ट्रांसफर पर आयें अधिकारी कुछ दिन के लिए कार्य करते है फिर रायपुर या संभागीय कार्यालय में शासकीय कार्य का हवाला देकर चले जाते है इसलिए बेदर्दी से कट रहे वृक्षो और यहां के पर्यावरण की कोई चिंता नहीं रहती हैं। जिला संबंधित कार्यालयों के भवन के लिए जिस प्रकार हरे भरे वृक्षों की बलि चढ़ाई जा रही है। यह वृक्ष 200 से 400 साल वर्ष पुराने हैं। इनमें कम से कम 400 साल पुराना बरगद का पेड़ भी है I जिन वृक्षो को काटने की अनुमति दी गई है उनमे हरे भरे औषधीय महत्व के विशाल हर्रा बहेरा के वृक्षों की कटाई भी की जा रही है I

*राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) का हो सकता है उल्लंघन: पेड़ काटने को लेकर NGT और सुप्रीम कोर्ट के साफ़ निर्देश है जिसमें बिना वजह और विकास के नाम पर वृक्षो की कटाई पर रोक है I हाल ही मे मुम्बई मेट्रो निर्माण के समय 84 पेड़ों की कटाई का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में दखल से सुलझाया गया था I अधिकारियों को समझना होगा कि भवन निर्माण को लेकर वृक्षों की कटाई के अलावा और भी विकल्प का प्रावधान रखना चाहिए I ताकि विकास के साथ-साथ पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचे I