दिल्ली सचिवालय में आयोजित इंटरप्रेन्योर्स के साथ मुलाकात में श्री सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में चल रहे इंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम को भारत की अर्थव्यवस्था योगदान देने और देश की इकोनॉमी को नौकरियाँ खोजने वाली अर्थव्यवस्था से नौकरियाँ पैदा करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में बदलने कामयाब होना चाहिये।
श्री सिसोदिया ने कहा कि ” हमारा जोर आने वाली युवा पीढ़ी का माइंडसेट खुद रोजगार पाने की बजाय दूसरों को रोजगार देने वाला बनने की तरफ बदलने के लिये होना चाहिये। बदलाव वो होगा जब हम नौकरी पाने वाले के माइंडसेट को नौकरी देने वाली सोच में बदल सकें।”
उन्होने ये भी कहा कि ‘आज जब देश का सबसे अच्छा मस्तिष्क विदेशी कंपनियों की तरक्की के लिए काम कर रहा है तो देश की अर्थव्यवस्था कैसे विकसित हो सकती है? इसीलिए इंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसे बदलने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा और भारत की तरक्की को वापस ट्रैक पर लाना होगा।’
इटंरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम के फायदे के बारे में बात करते हुए श्री सिसोदिया ने समझाया कि ये नौकरियों की समस्या, लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी से पार पाने में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। “हमें अपने बच्चों को केवल नौकरी की पीछे भागने वाली स्थिति की बजाय दोनों तरह के विकल्प वाली स्थितियाँ बनानी होंगी जिसमें वो सैलरी आधारित प्रोफेशनल बनने से लेकर इंटरप्रेन्योर बनने तक के विकल्प में से अपने अनुसार चुन सके।” ये बातें ऐसे अभिभावको को ध्यान में रखकर कही गई थी जो अपने बच्चों की रोजगार के बारे में लगातार चिंतित रहते हैं और उन्हें एक ऐसे व्यवसाय का चयन करने को कहते हैं जिसमें तनखाह मिलती हो। और खुद स्टार्ट अप या नया व्यवसाय शुरु करने की बच्चों की सोच को हतोत्साहित करते हैं।
दिल्ली सरकार का महत्वपूर्ण इंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम इस साल की शुरुआत में दिल्ली की सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक के लिए शुरू किया गया था। इस प्रोग्राम का एक महत्वपूर्ण भाग शहर इंटरप्रेन्योर community को बच्चों के साथ नियमित आधार पर जोड़ना भी है। ऐसे में दिल्ली सरकार द्वारा रखी गयी ओपन कॉल के जरिये रूचि दिखाने वाले सभी 140 इंटरप्रेन्योर्स ने उपमुख्यमंत्री के साथ इस मुलाकात में भाग लिया।
इंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम के अपने विज़न पर विस्तार से बात करते हुये उप मुख्यमंत्री ने कहा कि – ‘आज कॉलेजों से स्नातक की उपाधि लेकर निकलने वाले 99% युवा नौकरी की तलाश करते हैं और अगर ऐसा चलता रहा तो भारत केवल नौकरियाँ खोजने वाला देश बनकर रह जायेगा। हमें नौकरियाँ देने वाली अर्थव्यवस्था बनना होगा।’
शहर के उद्यमियों के समक्ष देश के लिये योगदान देने के अवसर पर चर्चा करते हुये श्री सिसोदिया ने कहा कि – ” जब हम एक ऐसी स्थिति तक पहुंच जाते हैं जहां पर हमने काफी कुछ हासिल कर लिया हो तो हम अपने आप से सवाल पूछते हैं कि अब हम देश को क्या दे सकते हैंं? मैं आप सबसे कहना चाहता हूँ कि ये प्रोग्राम आप सभी के समक्ष वो अवसर रख रहा है।”
संवाद कार्यक्रम की समाप्ति पर श्री सिसोदिया नेव कहा कि “आने वाले चार-पांच सालों में हमारे पास वह अवसर है जब हम दिल्ली के जॉब मार्केट और अर्थव्यवस्था बदल सकें। और साथ साथ देश की अर्थ व्यवस्था में भी योगदान दे सकें। अब हमें इस एक चुनौती की तरह लेना होगा और बड़े सपने देखने होंगे।”