रायपुर . राजधानी की हवा में मौजूद धूल के महीन कण थोड़े कम हुए हैं। प्रदूषण की मात्रा पिछले साल से एक से डेढ़ मिलीग्राम प्रति घनमीटर तक कम हुई है। इससे शहर की हवा साफ हुई है। पॉल्यूशन बोर्ड ने मई 2018 से मई 2019 के बीच 13 महीनों में की गई जांच की रिपोर्ट जारी की है। उसी रिपोर्ट में शहर की हवा में मौजूद पीएम-2.5 और पीएम-10 की मात्रा कम होना बताया गया है। प्रदूषण में आई इस कमी को सड़कों की सफाई और सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ लोगों की जागरूकता से जोड़कर देखा जा रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार धूल के महीन कणों के अलावा अपेक्षाकृत मोटे डस्ट भी अब पहले की तुलना में कम उड़ने लगे हैं। इसे पीएम 2.5 और पीएम-10 नाम दिया गया है। जानकारों के अनुसार वातावरण में प्रदूषण बढ़ने की कई वजह है। इसमें सबसे बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला कार्बन है। इसके अलावा किसी भी निर्माण के तोड़फोड़ से उड़ने वाली धूल तथा उद्योगों से निकलने वाला धुंआ है। सरकारी एजेंसियां प्रदूषण बढ़ाने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है। इसकी वजह से लोगों में जागरुकता भी आई है। यही वजह है कि हवा में धूल के कणों की मात्रा कम हो रही है।

पीएम यानी हवा में मौजूद सूक्ष्म कण : पीएम यानी पार्टिकुलेट मैटर हवा में ठोस या तरल रूप में मौजूद अति सूक्ष्म कण हैं। जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है उसे पीएम 2.5 और जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर से कम होता है उसे पीएम 10 कहते हैं। इन कणों में कार्बन मोनोआक्साइड, कार्बन डाईआक्साइड तथा लेड आदि घुले होते हैं जो जहरीले होते हैं।

प्रदूषण जांच के नतीजे 13 महीने में
माह    पीएम 2.5पीएम-10

  •   मई     32.8156.54 (2019)
  •  अप्रैल     35.46     56.03 (2019)
  •  मार्च     32.20      66.37 (2019)
  •  फरवरी     32.34    71.81 (2019)
  •  जनवरी     30.2770.34 (2019)
  •  दिसंबर     31.9461.74 (2018)
  •  नवंबर      29.6067.83 (2018)
  •  अक्टूबर    16.4233.56 (2018)
  •  सितंबर     14.1031.81  (2018)
  •  अगस्त      17.69      30.93 (2018)
  •  जुलाई      18.2834.38 (2018)
  •  जून         26.8548.44  (2018)
  •  मई           33.3859.87  (2018)

(नोट : पीएम 2.5 अधिकतम सीमा 60 और पीएम-10 की अधिकतम सीमा 100)

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