छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय (पीएसएसओयू) के चौथे दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि पर्यावरण की चिंता स्वाभाविक है। दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा कि दिल्ली को गैस का चेंबर बना दिया, यहां रहना मुश्किल है। किसी के घर में जाते थे तो गिलास में पानी देते थे, अब बोतल में देते हैं। जब नेता कार्यक्रमों में आएंगे तो ऑक्सीजन की बोतल भी रखी जाएगी। छत्तीसगढ़ में 44 फीसदी जंगल है और देश के जंगल में हमारा 12 फीसदी हिस्सा है। हम पूरे हिंदुस्तान को आक्सीजन दे रहे हैं जबकि जंगल के लोगों के पास सिंचाई और रोजगार की व्यवस्था नहीं है। अब विश्वयुद्ध पानी के लिए होगा। इसलिए हमें पानी और पर्यावरण बचाना है।
चिपको आंदोलन के प्रणेता, रेमन मेग्सेसे पुरस्कार, गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित पद्मभूषण चंडी प्रसाद भट्ट ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि आज विकास के अंधी दौड़ से प्रकृति विनाश की ओर बढ़ रही है। छत्तीसगढ़ में अभी भी पर्यावरण की स्थिति ठीक है। अमरकंटक एरिया भी संतुलित है, पर पेड़ों की कटाई होना दिखाई दे रहा है। अगर इसे अभी नहीं रोका गया तो आगे इसे भी दिल्ली की तरह प्रदूषण, पानी सहित अन्य जरूरतों के लिए मुश्किलों का सामना करना होगा।