पिछले 43 साल में पहली बार विश्व कप में पदक जीतने का भारतीय हॉकी टीम का सपना गुरुवार को क्वार्टर फाइनल में तीन बार की चैंपियन नीदरलैंड्स से 1-2 से मिली हार के साथ टूट गया। मुकाबले में डच टीम का अनुभव मेजबान टीम पर भारी पड़ा।
इसके बाद 50वें मिनट में वान डेर वीयरडेन मिंक के पेनल्टी कॉर्नर पर किए गोल ने भारत के विश्व कप में पदक जीतने के सपने को तोड़ दिया। मैच का पहला गोल 12वें मिनट में भारत के लिए आकाशदीप सिंह ने किया, जबकि नीदरलैंड्स के लिए 15वें मिनट में थिएरी ब्रिंकमैन ने बराबरी का गोल दागा।
पिछली बार की उपविजेता नीदरलैंड्स को भारतीय खिलाड़ियों ने 49वें मिनट तक बराबरी पर रोके रखा। भारतीय डिफेंडरों ने खास तौर पर बेहतरीन प्रदर्शन करते डच फॉरवर्ड पंक्ति के कई शानदार मूव गोल में तब्दील नहीं होने दिए।
भारत को लगातार हमलों का फल 12वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर के रूप में मिला, जिस पर हरमनप्रीत की ड्रैग फ्लिक नीदरलैंड्स के गोलकीपर परमिन ब्लॉक ने बचा ली, लेकिन रिबाउंड पर आकाशदीप ने गेंद को गोल के भीतर डालकर भारत को 1-0 से आगे कर दिया।
पहले क्वार्टर के आखिरी पल में मिर्को प्रूइजर ने सर्कल के भीतर गेंद पहुंचाई और ब्रिंकमैन की स्टिक से लगकर वह भारतीय गोल के भीतर चली गई जिसे गोलकीपर श्रीजेश हैरान होकर देखते रह गए। तीसरे क्वार्टर में भारतीयों ने कई मौके बनाए, लेकिन डच डिफेंस को भेद नहीं सके।
उधर, डच खिलाड़ियों को लगातार पेनल्टी कॉर्नर मिलते रहे। पूरे टूर्नामेंट में उसका पेनल्टी कॉर्नर खराब रहा और इस मैच में भी वह सिर्फ एक को भुना सके।
तीसरा क्वार्टर गोलरहित रहने के बाद चौथे क्वार्टर में दूसरे ही मिनट में डच टीम ने लगभग गोल कर दिया, लेकिन भारत के रेफरल के बाद उसे अमान्य करार दिया गया। जवाबी हमले में आकाशदीप ने दाएं फ्लैंक से गोल के ठीक सामने सिमरनजीत सिंह को गेंद दी जो उसे पकड़ नहीं सके।
इस बीच नीदरलैंड्स ने 50वें मिनट में एक के बाद एक पेनल्टी कॉर्नर बनाए और दूसरे पर गोल दागा। भारत ने 55वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर बनाया, लेकिन हरमनप्रीत इसे गोल में नहीं बदल सके। आखिरी मिनटों में डच टीम ने रक्षात्मक हॉकी का प्रदर्शन करते हुए भारत की वापसी के सभी मंसूबों पर पानी फेर दिया।