भोपाल, राजेन्द्र वर्मा (वरिष्ठ पत्रकार ) की फेसबुक वॉल से

आज प्रदेश की सेहत खराब है। कोरोना वायरस महामारी के रूप में फैल रहा है। देश में हम कोरोना संक्रमण के मामले में तीसरे नंबर पर आ गए। मतलब हम रेड ज़ोन में आ गए हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री अकेले राजपाठ संभाल रहे हैं। इसकी तारीफ होना चाहिए। लेकिन,स्वास्थ्य महकमे के प्रमुख सचिव से लेकर वरिष्ठ अधिकारी कोरोना संक्रमित हुए।इससे हड़कंप मच गया। प्रदेश में कोरोना मरीजों में आधी संख्या यानि 72 इन्ही लोगों की हो गई है। इसलिये,शिवराज के ऊपर भी सवाल खड़े होने लगे। अब मंत्रिमंडल विस्तार की मांग भी उठने लगी।

मंत्रियों का बोझ उठाने लायक नही है खजाना –
प्रदेश में कोरोना संकट को देखते हुए अब मंत्रिमंडल तो जरूरी है।लेकिन इनकी संख्या 4 से ज्यादा नही होना चाहिए। अभी गृह ,स्वास्थ्य ,कृषि और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के ही मंत्री बनाये जाना चाहिए। इनके स्टाफ,वाहन,सत्कार,टूर,वेतन एवं अन्य भत्तों पर सालाना करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। यह खर्च तो सरकार उठा सकती है,लेकिन जम्बो मंत्रिमंडल का भार प्रदेश की जनता अभी उठाने की स्थिति में नही है। प्रदेश सरकार 1,80,988 करोड़ के घाटे में चल रही है।महज कर्ज का व्याज चुकाने के लिए प्रतिमाह करीब 15 हजार करोड़ चुकाने पड़ते हैं। ऐसी स्थिति में शिवराज को मंत्रियों की संख्या सीमित ही रखना चाहिए।

अभी कोरोना से फाइट ही प्राथमिकता :
प्रदेश इस समय कोरोना संकट से जूझ रहा है। इससे निपटने के लिए पर्याप्त बजट नही है। जबकि,कोरोना किट,इलाज के संसाधन,डॉक्टर्स,नर्स एवं मैदानी कोरोना फाइटर्स के लिए जीवन रक्षक संसाधन नही है। पुलिस कर्मचारी,मेडिकल स्टाफ मास्क लगाकर कोरोना से जंग लड़ रहा है। सबसे पहले यह संसाधन जुटाने की जरूरत है। यह आपदा बहुत जल्द जानेवाली नही है। इसलिए खजाने का अधिकांश भाग कोरोना के संसाधन से लेकर आजीविका,राहत,खाद्य आपूर्ति आदि के लिए बजट की जरूरत है। सरकार ने गरीब,मजदूरों के लिए करीब 10 हजार करोड़ की राहत दी है। अभी राज्य सरकार को आरबीआई,बाजार से भारी भरकम कर्ज उठाना पड़ेगा।
राजनीतिक संतुलन साधने की जरूरत नही :
यह समय प्रदेश के लिए संकट का समय है। गरीब और मध्यम वर्ग को राहत देने की जरूरत है। लेकिन, कुछ लोग जम्बो मंत्रिमंडल की हवा बना रहे हैं। जो कि,प्रदेश की जनता के साथ नाइंसाफी है। सिंधिया गुट के लोगों को मंत्री बनाने की चर्चाएं हैं,यह समय राजनीतिक संतुलन साधने के लिए बिल्कुल नही है। कई लोगों को मंत्री बनाकर सरकारी दामाद बनाने की जरूरत अभी नही है। प्रदेश की जनता परेशान है,नॉकरिया, उद्योग धंधे ठप हो गए हैं। मजदूर घर बैठ गए। किसानों का कबाड़ा हो गया है। इसलिए प्राथमिकता जनता होना चाहिए न कि नेता।अभी 4 से अधिक मंत्रियों की कतई जरूरत नही है। मुख्यमंत्री की सोच यहां सही दिख रही है।