भोपाल – सांची दुग्ध संघ ने अपने सभी श्रमिकों को कोरोना महामारी को देखते हुए एक हजार रुपये की अतिरिक्त राशि दी है। ताकि, यह लोग कोरोना को देखते हुए अपने परिजनों को मास्क,सेनेटाइजर आदि खरीद सकें। कोरोना काल मे श्रमिकों की सुरक्षा आदि का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। संघ के सीईओ केके सक्सेना के कार्यकाल में दुग्ध संघ ने बहुत तरक्की की है। दूध की सप्लाई से लेकर घी, मठा, दही का उत्पादन तेजी से बढ़ा है। लेकिन कोरोना संकट काल में कुछ उत्पादों में गिरावट आई है।प्रशासनिक कसावट के साथ जीपीएस सिस्टम को बेहतर ढंग से संचालित किया जा रहा है। दूध के टैंकर्स की लोकेशन की सख्त मॉनिटरिंग की जा रही है। रात को 2 बजे आने वाले टैंकर अब रात्रि 8 बजे आ रहे हैं। श्री सक्सेना ने पदस्थ होते ही जानकारी के आधार पर उच्च अधिकारियों से गड़बड़ी की आशंका जताई थी। क्राइम ब्रांच पुलिस ने दूध के टैंकर्स की जांच की। पकड़े गए टैंकर्स ऑपरेटर का कॉंट्रेक्ट निरस्त कर ब्लैक लिस्ट किया गया था। इसके बाद दूध की गुणवत्ता,जीपीएस सिस्टम पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जरूरत के मुताबिक ठेका श्रमिको से कार्य निरंतर लिया जा रहा है। लॉक डाउन के चलते मिठाई,एमडीएम,पेड़ा, केक,पनीर,खीर,श्रीखंड के उत्पादन में कमी की गई है। नियमित कर्मचारी को फोर्स लीव पर नही भेजा गया और न ही भेजा जाता है। सीईओ सक्सेना के पदस्थ होने के पूर्व में 40 टन,पावडर और 9 टन बटर का उत्पादन होता था। जो अब बढ़कर 750 और 450 टन उत्पादन हो गया है। इनके पहले दुग्ध संघ का स्टॉक चिंता जनक स्थिति में था। श्री सक्सेना ने किसानों के साथ मिलकर अधिक दूध संकलित करने की योजना बनाई। आज की स्थिति में 700 टन पावडर का भंडारण किया गया है। जिसका मूल्य 40 करोड़ है।
ग्रामीण किसानों को पूरा भुगतान किया जा चुका है। 12 अप्रैल तक हिसाब चुकता है। जबकि यह अन्य दुग्ध संघों की तुलना में सराहनीय कदम माना जा रहा है।यह जानकारी सांची दुग्ध संघ के पीआरओ राजेन्द्र वर्मा ने देते हुए बताया कि सांची दुग्ध संघ प्रगति और ग्राहकों के मानकों और संतुष्टि पर खरा उतर रहा है। संघ ने हाँथ से बनाये जाने वाले उत्पादों में कमी लाई है। सभी विपढन अधिकारियों को कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं।