✍ सतीश शर्मा की कलम से
इंंदौर। मध्यप्रदेश में 24 विधानसभा क्षेत्र के साथ ही इंदौर जिले के साँवेर विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव को लेकर भजपा के लिए यह सीट अति आवश्यक है यदि पूर्व विधायक तुलसीराम सिलावट फिर यहां से चुनाव लड़ते है तो…..हालांकि सिलावट के कांग्रेस छोड़ते ही भाजपा में शामिल होने व मंत्री बनाये जाने के बाद से ही साँवेर से उनका बीजेपी से टिकट तय माना जा रहा है। वही साँवेर क्षेत्र में लंबे समय से भाजपा पार्टी में टिकिट के लिए राजनैतिक जमीन मजबूत कर चुके नेताओं के लिए यह वक्त हजम करना मुश्किल होगा जब उनकी पार्टी में कोई पैराशूट से उतरकर टिकट लेगा, वही पूर्व में चुनाव जीते प्रतिनिधि के लिए भी मुश्किल की घड़ी होगी। चलिए बात वर्तमान समय की याने के अभी की करते है। इन दिनों कोरोना की महामारी में जहा भाजपा कांग्रेस के नेता लगातार गरीबो की मदद के नाम पर राशन बाट कर फोटो खिंचवा रहे है और राशन पर राजनीति कर रहे है तो वही सोशल मीडिया पर भी जमकर राजनीतिक उठापटक इन दिनों देखने को मिल रही है। यदि सोसल मीडिया के माध्यम से साँवेर की परिक्रमा की जाए तो एक तरफ कांग्रेस के लोग पूर्व विधायक प्रेमचंद गुड्डू के कांग्रेस में आने की ख़बरो के चलते बीजेपी के आंगन के नेता को कड़ी टक्कर देना चाह रहे है तो वही इंदौर में एक बार पार्षदी जितने के बाद ही कई नेताओं को साँवेर के विधायक बनने के सपने आने लगे है, साथ ही पूर्व मंत्री और कांग्रेस आलाकमान के करीबी अपने पट्ठो को यहां का ताज पहनाना चाह रहे है। कांग्रेस में बढ़ा गड्ढा तो पहले ही पार्टी छोड़ कर महाराज भक्त कर चुके है ऐसे में कुछ जनप्रतिनिधि फिलहाल राशन बांटकर और सोशल मीडिया पर ड्रामेबाजी कर साँवेर के सरताज बनने के ख्वाब सजाए है… कहते है बून्द बून्द से घड़ा भरता है, इसी तर्ज पर साँवेर में कांग्रेसी इस सीट को अपने कब्जे में ले कर एक तीर से दो शिकार करना चाहते है। एक तो शिवराज सरकार में एक एमएलए कम और यहां से यदि सिलावट को टिकट मिलती है और वह हारते है तो उन्हें ( कांग्रेस के अनुसार) यहां की जनता से गद्दारी करने की सजा।

*अब बात भाजपा खेमे की*
यदि इसी तरह हम अब भाजपा याने के सत्ता पक्ष की करे तो, महाराज के बीजेपी में आने के बाद उनके भक्त भी बीजेपी में आ गए, वही महाराज की भक्ति करने वाले जलसंसाधन मंत्री के रूप में साँवेर में तुलसी सिलावट नए अवतार के साथ प्रकट हुवे है, और वह अपने कई समर्थकों को भी पार्टी बदलवाने में कामयाब हुए है। कहा जाता है कि पहलवान ने दल बदलते ही अपने दाव पेज दिखाना शुरू कर दिए है। कांग्रेस की विरासत में सीखे राजनैतिक गुर तुलसी पहलवान अब उन्ही पर आजम रहे है। उन्हें प्रदेश में मंत्री पद तो मिल गया लेकिन कुर्सी का असल तो तब चुकता होगा जब पहलवान चुनाव जीतकर विधानसभा जाएंगे। इन दिनों अपनी फोटो वाली थैलियों में मंत्री जी के नाम पर साँवेर के ग्रामीणों में खूब राशन बंट रहा है। गरीबो व जरूरत मन्द लोगो को राशन के नाम पर उनके घरों में फोटो लगी थैलिया पहुचाइ जा रही है ताकि लोगो को यह पता चले कि भैया ने अब दूसरी नैया पकड़ ली है। अब पंजे वाले भैया फूल छाप बन गए है। मंत्री सिलावट को साँवेर से यदि बीजेपी टिकट देती है तो उनको यह सीट जितना जरूरी है। राज करने के लिए भी और इज्जत बचाने के लिए भी…अब यदि टिकट साँवेर से मंत्री सिलावट को मिलेगी तो उनका क्या होगा जो वर्षो से तपस्या और त्याग , बलिदान दे रहे है। सालों से जन्यता में बने हुए है, कमल की पंखुड़ियों को ग्रामीणों में तरोताजा रखे हुए है। यह भी बड़ा सवाल है। जी हां हम बात कर रहै है पूर्व विधायक डॉ राजेश सोनकर की जो बहुत कम वोटो से पिछले चुनाव में हारे थे,जिन्होंने हार के बाद भी साँवेर की जनता में हमेशा बने रहने की कोशिश की, ग्रामीणों में पहुच कर उनकी तकलीफों को सुना और उनकी समस्याओं को हल करने को कोशिस की, लेकिन उन्हें फिर पार्टी ने मौका नही दिया तो क्या होगा…..वही बीते कई सालों से टिकट के लिए साँवेर की जनता की सेवा कर रहे और हर किसी के सुख दुख में शामिल होने वाले युवाओं में अपनी पेंठ जमा चुके भाजपा नेता सावन सोनकर के अरमानों पर भी पानी फिर सकता है। बतादें की सावन सोनकर की भी साँवेर विधानसभा में बड़ी लॉबी है, जो चुनाव को अपने मुताबिक पलट सकते है, यदि उन्हें पार्टी ने फिर बरगला दिया और टिकट नही दिया तो क्या होगा। हालांकि पूर्व विधायक और अन्य टिकट के दावेदार फिलहाल तो यही कह रहे हैं कि संगठन जो तय करेगा फैसला सर्वमान्य होगा। लेकिन वर्षों की मेहनत से अपनी सांवेर क्षेत्र में राजनीतिक जमीन पक्की करने वाले इन नेताओं के सपने क्या एक पल में ताश के पत्तों की तरह हवा के तुलसी नुमा झोंके से नेस्तनाबूद हो जाएंगे।
अंत में आपको एक बात कहना चाहेंगे कि भले ही तुलसी सिलावट भाजपा में शामिल हो गए हो, और बड़ी संख्या में उनके समर्थक भी बीजेपी में आ गए हो किंतु सिलावट को यदि साँवेर से टिकट मिलती है तो उन्हें कई पड़ाव पार करना होंगे…याने के जो अपने अब बाहरी बन बैठे है उनसे जितने के लिए जिन परायों को अपनाया है उनके दिल जीतना होगा, तभी साँवेर के आंगन में तुलसी फिर खिल सकती है।