भोपाल – राज्यपाल लाल जी टंडन लॉक डाऊन अवधि में सृजन कार्य करने वालों का मनोबल बढ़ाने राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय आज पहुँचे। ऑन लाइन डेव्हलपर टीम के साथ चर्चा की। उनके अनुभव और भविष्य की योजनाओं की जानकारी प्राप्त की। उनका उत्साहवर्धन किया। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव श्री मनोहर दुबे, कुलपति, राजीव गांधी विश्वविद्यालय श्री सुनील कुमार भी मौजूद थे।
राज्यपाल श्री टंडन के कहा कि इच्छाशक्ति और प्रवृत्ति मिल जाये तो सफलता निश्चित है। लॉक की चुनौती के दौरान साफ्टवेयर डेवलेपमेंट खोजपरक शिक्षा का प्रमाण है। सॉफ्टवेयर का निर्माण कोविड-19 की चुनौती और सीमित संसाधनों के साथ किया गया है। यही भावना सफलता की शक्ति और सुखद भविष्य की अनन्त सम्भावनाओं का आधार है। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठता का आर्थिक आधार अस्थाई है। ज्ञान का भंडार ही श्रेष्ठता का स्त्रोत है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने संकट को अवसर के रूप में स्वीकार करने का आव्हान किया है। यह समय युवाओं के लिए उनकी मेधा के उपयोग का है। आत्म निर्भरता का नया इतिहास रचने का सही समय है। तकनीक, विधियाँ और संसाधनों की कोई कमीं नहीं है। चुनौती स्वीकार कर कार्य करने के संकल्प की जरूरत है।
श्री टंडन ने कहा कि विश्वविद्यालय भविष्य निर्माण के केन्द्र हैं। सॉफ्टवेयर निर्माण का क्रांतिकारी कार्य है। इससे आत्मनिर्भरता के सुरक्षित भविष्य की अपार संभावनाएँ प्रकाशित हुई है। स्वयं आत्मनिर्भर होने के साथ ही सॉफ्टवेयर की विशेषज्ञता का व्यावसायिक उपयोग कर विश्वविद्यालय आय के नये स्त्रोत विकसित कर सकते हैं। यह तकनीकी दक्षता ज्ञान के आधार को मजबूत बनाएगी। शैक्षणिक सम्भावनाओं में गुणवत्ता, शिक्षण, संस्कृति के क्षेत्र में नये प्रयोग अर्थव्यवस्था में सुधार का नया मार्ग प्रशस्त करेगी। उन्होंने सॉफ्टवेयर टीम के युवाओं के साथ ऑन लाइन चर्चा करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुये कहा कि उनका योगदान मील का पत्थर है। उन्होंने ऐसे पौधे के निर्माण किया है जिसका भविष्य में देश समाज पर बहुआयामी प्रभाव होगा।
राज्यपाल के सचिव श्री मनोहर दुबे ने बताया कि सॉफ्टवेयर के तैयार होने से भविष्य की अपार सम्भावनाएं निर्मित हुई हैं। शैक्षणिक व्यवस्था के मूलभूत स्वरूप में पविर्तन हो सकता है। शिक्षण, परीक्षा प्रणाली जैसी मौलिक व्यवस्थाओं में नई परिकल्पनाओं को मूर्तरूप दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के पास 24 लाख विद्यार्थियों के साथ सीधे सम्पर्क सुविधा उपलब्ध हो गई है। अध्ययन घंटों के संधारण के आधार पर परीक्षा परिणाम के निर्धारण जैसी अभिनव सम्भावनाओं पर भी विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल की प्रेरणा, संरक्षण, विश्वास ने कार्य के प्रति सकारात्मक वातावरण उपलब्ध कराया जो सफलता का मूल तत्व है। उन्होंने राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा निर्माण कार्य को हाथ में लेने के साहसिक कदम उठाने और फंक्शनल रिक्वायरमेंट सिस्टम को तैयार कराने में विश्वविद्यालयों के सहयोग का भी उल्लेख किया।
कुलपति श्री सुनील कुमार ने बताया कि लॉक डाऊन की चुनौती के बीच वर्क फ्राम होम की नई कार्य संस्कृति और विश्वविद्यालयों की आत्मनिर्भरता के नये दौर की शुरूआत विश्वविद्यालय प्रबंधन सॉफ्टवेयर का निर्माण है। उन्होंने बताया कि छात्र-छात्राओं द्वारा दिया जाने वाला शुल्क जो निजी क्षेत्र में चला जाता था। वह अब उनके शैक्षणिक विकास में उपयोग होगा। उन्होंने बताया कि सॉफ्टवेयर डेव्हलपमेंट का कार्य 20 सदस्यीय टीम द्वारा किया गया है। इसमें 10 सदस्य विश्वविद्यालय के अध्ययनरत छात्र हैं। शेष 10 भूतपूर्व छात्र हैं।
राज्यपाल श्री टंडन ने इस अवसर पर सॉफ्टवेयर डेव्हलपर टीम के सदस्यों के साथ चर्चा की। साफ्टवेयर कंसल्टेंट श्री हेमराज ने बताया कि देश में कहीं भी विश्वविद्यालयों का एकीकृत प्रोजेक्ट संचालित नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि यह सॉफ्टवेयर कॉरपोरेट फील के साथ बना है। डेव्हलपर श्री नेमा ने बताया कि यह बहुत आगे जाने वाला सॉफ्टवेयर है। नीतेश ने बताया कि सॉफ्टवेयर में आधुनिकतम तकनॉलजी का प्रयोग है। सीनियर सॉफ्टवेयर आर्कीटेक्ट श्री गौरव ने बताया कि सॉफ्टवेयर का फंक्शनल रिक्यारमेंट सिस्टम एफ.आर.एस. बहुत विस्तृत और प्रभावी है। इनके साथ सत्यम मिश्रा, साक्षी जैन, तनिष्क सोनी, संजय सिंह, पुनीत सेथा, मोहम्मद सालिक फारुखी, आशीष प्रजापति, पारूल नेमा और मोनिका साहू ने भी उनके अनुभवों को साक्षा किया।