कोविड़ 19 की वजह से सम्पूर्ण लॉक डाउन ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया है। वहीं राहत कोष भी लगातार खाली होते जा रहे है। राहत कार्यों और व्यापार की स्थिति को पटरी पर लाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें हर संभव प्रयासों में लगी हुई है। मध्य प्रदेश में अन्य राज्यो की तुलना में आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। एक आंकलन के अनुसार पूरे प्रदेश को 22 हजार करोड़ से अधिक राजस्व का नुक़सान होने का अनुमान है। मध्यप्रदेश में विभिन्न मदो से प्राप्त राजस्व आय सबसे अधिक पेट्रोल डीजल, परिवहन, शराब बिक्री, माइनिंग आदि से प्राप्त होती है। जो बिल्कुल ही ठप्प पड़े हुए है। आबकारी , माइनिंग और पेट्रोल-डीजल से भारी नुकसान – मध्यप्रदेश के राजस्व को सबसे ज्यादा आय आबकारी और पेटोल-डीजल से प्राप्त होती है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान पेटोल-डीजल की खपत में कमी के कारण तीन महीने में पांच हजार करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान हुआ है। वहीं शराब दुकानें माइनिंग बंद होने से तीन हजार करोड़ रुपए की आय कम हुई है। साथ ही कालाबाजारी अवैध बिक्री और रेत उत्खनन के मामले ज्यादा बढ़े है। अब तक एक अनुमान के मुताबिक मध्य प्रदेश को हुआ नुकसान विभिन्न मद्दो से जीएसटी- 4000 करोड़ (पिछला बकाया) पेट्रोल-डीजल- 5000 करोड़ आबकारी (शराब): 3000 करोड़ खनिज- 1000 करोड़ सिंचाई – 500 करोड़ ऊर्जा- 3000 करोड़ परिवहन- 1000 करोड़ पंजीयन- 1000 करोड़ इसके अलावा अन्य मदों में भी बड़ा नुकसान हुआ है। (आंकड़े रपये में)