मध्यप्रदेश विधानसभा, भोपाल
भोपाल। कॉविड 19 महामारी के बीच लॉक डाउन में राहत तो मिल गई परन्तु सियासी गलियारे में मंत्री पद की चाहत रखने वालों को नींद नहीं आ रही है। सिंधिया ने जब से सरकार क्या गिराई तब से देश सहित मध्यप्रदेश में कुछ ज्यादा ही कोहराम मचा हुए है। कांग्रेस और भाजपा दोनों एक दूसरे को कभी पोस्टर वार तो कभी corona virus में घोटाला अव्यवस्था का दोष रोपण  दूसरे पर लगा रहे है। मंत्रिमंडल का विस्तार 2 जून को संभावित था परन्तु अब शिवराज का दिल्ली दौरा स्थगित होने के साथ जून में 6 या 7 को मंत्रिमंडल विस्तार के कयास लगाए जा रहे है। केंद्रीय नेतृत्व के मोहर से ही शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार करेंगे। परन्तु कयास ये भी है कि अब राज्यसभा चुनाव के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा। उपचुनाव की तैयारी के साथ साथ भाजपा अपने विधायकों को साधने में भी लगी हुई है। सिंधिया समर्थको का भी ध्यान रखा जा रहा है वहीं भाजपा के अपने विधायक कद्दावर नेताओ की नाराजगी भी शिवराज दूर करने में लगे हुए है। शिवराज एक मझें हुए खिलाड़ी की तरह सभी को साधते हुए मंत्रिमंडल विस्तार के साथ प्रदेश की कमान भी संभाले हुए है। सूत्रों के अनुसार तय हुए फार्मूलों में सिंधिया समर्थक 22 पूर्व विधायकों में से 14 पूर्व मंत्री विधायकों को मंत्री बनना तय हुआ है। जिसमे से दो को मंत्री बनाया जा चुका है अब शेष 12 को मंत्रिमंडल विस्तार में बनना तय है। इसके अलावा कंसाना, बिशाहू लाल, हरदीप सिंह को भी एडजस्ट किया जाना है। बाकी जो कांग्रेस से भाजपा में आए है जो पूर्व मंत्री रहे है उनका भी मंत्री बनना तय है। बाकियों को मंडल निकायों में एडजस्ट किया जा सकता है। भाजपा में मैथेमेटिक्स उलझा उलझी। भाजपा के सामने दिक्कत है कि किसे मंत्री बनाए किसे नहीं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह और भाजपा अध्यक्ष शर्मा , अरविंद भदौरिया को  मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने पर तैयार नहीं है। शिवराज चाहते है कि गोपाल भार्गव विधानसभा अध्यक्ष बन जाए। परन्तु भार्गव तैयार नहीं है। इंदौर से उषा ठाकुर और रमेश मेंदोला पर खीचतान है। भोपाल संगठन से विष्णु खत्री तो अन्य ने रामेश्वर शर्मा का नाम आगे बढ़ाया है। शिवराज भूपेंद्र सिंह को मंत्री बनना चाहते है परन्तु पार्टी संगठन के कई नेता राजी नहीं है।