भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश आने के बाद आखिरकार शराब दुकानों के खोले जाने को लेकर स्थिति साफ हो गई है। प्रदेश में 67 फीसदी शराब ठेकेदारों ने दुकानें सरेंडर कर दी हैं। इसके बाद अब 9 जून से सरकार इन दुकानों का संचालन शुरू कर देगी।
उधर,ने आबकारी नीति के क्रियान्वयन एवं उससे संबंधित विषयों पर निर्णय लेने तथा परिस्थितिवश निर्मित स्थिति पर राजस्व हित में आवश्यक एवं तात्कालिक नीतिगत निर्णय लेने के लिए मंत्री समूह का गठन किया है। गृह एवं लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में गठित मंत्री समूह में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह मांडवे सदस्य होंगे। प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, वाणिज्यिक कर विभाग इस समिति के सचिव होंगे।
एक अनुमान के मुताबिक, सरकार को मई में 33 फीसदी दुकानों से 150 करोड़ रुपए की कमाई हुई है। प्रदेश में शराब की देसी 2544 और विदेशी शराब की 1061 दुकानें हैं। भोपाल के साथ ही ग्वालियर, जबलपुर, इंदौर, मंदसौर, नीमच, रतलाम, उज्जैन, देवास, छिंदवाड़ा, कटनी और रीवा के ठेकेदार पहले ही कोर्ट के आदेश के अनुसार निर्णय लेने की बात कह चुके थे। ऐसे में शनिवार तक प्रमुख शहरों के सभी ठेकेदारों ने शराब दुकानें सरकार को सौंप दीं। उन्होंने आबकारी विभाग को शपथ पत्रों के साथ इसकी जानकारी भी दे दी है। हाईकोर्ट ने ठेकेदारों को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तीन दिन का मौका दिया था।
नीलामी की प्रक्रिया पूरी होने संचालन सरकार करेगी
अबकारी आयुक्त संजीव कुमार दुबे ने बताया कि भोपाल में सभी ठेकेदारों ने अपनी दुकानें सरेंडर कर दी है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद शराब दुकानों के संचालकों को तीन दिन में अपनी स्थिति साफ करना था, ऐसे में भोपाल सहित कई जिलों की दुकानों का अधिकार शासन के पास आ गया है। अब 8 जून तक विभाग द्वारा इसे फाइल कर दिया जाएगा। उसके बाद नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में 9 जून से शासन द्वारा नए टेंडर होने तक दुकानों का संचालन किया जाएगा।
यहां संचालित हो रहीं शराब दुकानें
सीहोर, राजगढ़, विदिशा, रायसेन, बैतूल, आगर, शाजापुर, टीकमगढ़ और पन्ना में ठेकेदार दुकानें खोलने को राजी हैं। ये लोग नई पॉलिसी में रिन्यूवल वाले हैं। खरगोन में लॉकडाउन खुलने के बाद से ही ठेकेदार हाथ खड़े कर चुके हैं। ऐसे में यहां दुकानें आबकारी विभाग ही चला रहा है। अब हाईकोर्ट 17 जून को फैसला देगा।