रायपुर:  गांवों में रोजगार, आजीविका संवर्धन और सामुदायिक एवं निजी परिसंपत्तियों के निर्माण के साथ ही मनरेगा किसानों को भी खुश होने का मौका दे रही है। प्रदेश में मनरेगा और विभिन्न विभागों के अभिसरण से खेती-किसानी की मजबूती के लिए भी अनेक काम किए जा रहे हैं। मनरेगा से बारिश के भरोसे रहने वाले बीजापुर के किसानों के खेतों तक भी नहर के माध्यम से पानी पहुंचाने की व्यवस्था हो रही है। इससे वहां के किसान बहुत खुश हैं।

बीजापुर जिले के करीब एक हजार किसानों के 800 हेक्टेयर रकबे तक जलाशयों का पानी पहुंचाने मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना), डीएमएफ (जिला खनिज न्यास निधि) एवं विशेष केंद्रीय सहायता राशि के अभिसरण से नहरों की लाइनिंग, जीर्णोद्धार और जलाशयों में जलद्वारों के निर्माण का काम किया जा रहा है। मनरेगा अभिसरण से हो रहे इन कार्यों के साथ ही जिले में व्यापक स्तर पर शुरू किए मनरेगा कार्यों से अभी 19 हजार 588 परिवारों के 44 हजार 896 श्रमिकों को सीधे रोजगार मिल रहा है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते विपरीत परिस्थितियों में ग्रामीणों को इन कार्यों से बड़ी राहत मिली है।

मनरेगा, डीएमएफ और विशेष केंद्रीय सहायता राशि के अभिसरण से बीजापुर जिले में नहरों के जीर्णोद्धार और जलाशयों के क्षतिग्रस्त जलद्वारों के पुनर्निर्माण के लिए कुल 69 कार्य स्वीकृत किए गए हैं। इन कार्यों के लिए जल संसाधन विभाग को एजेंसी बनाया गया है। अब तक 19 कार्यों को पूर्ण कर लिया गया है और शेष कार्य प्रगति पर हैं। सिंचाई नहरों के क्षतिग्रस्त एवं जीर्ण-शीर्ण हो जाने के कारण किसानों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा था। समन्वित कार्ययोजना के तहत नहरों की सीसी लाइनिंग, रिटेनिंग वाल्स के निर्माण तथा कुछ जलाशयों के क्षतिग्रस्त सलूस गेट के पुनर्निर्माण के बाद जिले के करीब एक हजार किसानों के 800 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई के लिए पानी मिलने लगेगा।

नहरों के जरिए खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए बीजापुर जिले के नौ जलाशयों की सिंचाई क्षमता को पुनर्स्थापित किया जा रहा है। इसके लिए अलग-अलग जलाशयों से जुड़े कुल 9.80 किलोमीटर नहर की सीसी लाइनिंग (Cement-Concrete Lining) की जा रही है। समन्वित कार्ययोजना के पहले चरण में भैरमगढ़ विकासखंड के कोडोली (कोडोली-1 एवं कोडोली-2) एवं मिरतुर जलाशय के 3.80 किलोमीटर, बीजापुर विकासखण्ड के दुगोली, ईटपाल एवं पापनपाल जलाशय के 2.60 किलोमीटर तथा भोपालपटनम के वरदली, दमपूर एवं सकनापल्ली जलाशय के 3.40 किलोमीटर नहर में लाइनिंग का कार्य किया जा रहा है। वहीं दूसरे चरण में ईटपाल, पापनपाल एवं मिरतुर जलाशय के क्षतिग्रस्त जलद्वारों को तोड़कर नए जलद्वारों का निर्माण किया जा रहा है। दोनों चरणों के कार्यों की लागत करीब नौ करोड़ 60 लाख रूपए है।