भोपाल । सामान्य परिवारों से प्रतिभावान छात्रों की पहचान,  संकट की घडी में अपने काम को कुशल तरीके से संपन्न करना इस लॉक डाउन में हुई है।  इस समय टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ गया है विद्यार्थी ज्यादा से ज्यादा टेक्नो फ्रेंडली हो गए है ये विद्यार्थी के  भविष्य के लिए उपयोगी साबित होगा।  ये कहना है माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के  पूर्व कुलपति संजय द्विवेदी का

सुनो खबर से विशेष बातचीत में आईआईएमसी के नवनियुक्त महानिदेशक संजय द्विवेदी  ने वर्तमान परिदृश्य में मीडिया और विद्यार्थी पर चर्चा की जिसके प्रमुख अंश पाठको के लिए इस प्रकार है –

सवाल – लॉकडाउन में ऑनलाइन शिक्षा का स्तर बढ़ा है। इससे छात्रों को कितना फायदा  होगा?
जवाब : परिवर्तन हमेशा कुछ नयापन लाता है।  हमारे विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों ने सभी कक्षाएं ऑनलाइन ऍप द्वारा संचालित की और आगे भी जारी है। सभी छात्रों ने करीब २५० से अधिक शहरों पर वीडियो बनाये जिनको देखकर महसूस हुआ कि सामान्य परिवार से आये बच्चो के अंदर प्रतिभा छुपी हुई है।  वो हमारे प्राध्यापकों से ज्यादा टेक्नो फ्रेंडली है जो विद्यार्थियों के भविष्य के लिए अच्छा संकेत है।  ऑनलाइन संवाद द्वारा हमने अभी तक तीन प्रमुख वेबिनार आयोजित कराये जिसमे कुलपति संवाद सात दिन तक  चला।  इस संवाद में छह राज्यों के सात कुलपतियों ने छात्रों से बात की अपने अनुभव साझा किये।  इस प्रकार स्त्री शक्ति संवाद वेबिनार द्वारा देश की 8  ताकतवर महिलाओं से बात की । मध्यप्रदेश की पर्वतारोही मेघा परमार भी इस वेबिनार में शामिल होकर कॉलेज के छात्रों से अनुभव साझा किये।  इस प्रकार ऑनलाइन माध्यम से घर बैठकर सभी ने लॉक डाउन में खूब एन्जॉय भी किया और अधिक  टेक्नोफ्रेंडली होते हुए  शैक्षणिक गतिविधियां में शामिल हुए ।

सवाल –  विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों  का प्लेसमेंट किस प्रकार है ?
जवाब – आज देश और विदेश में ज्यादा अंतर नहीं रहा है।  सभी सामान है।  हमारे विश्वविद्यालय के विद्यार्थी  सिर्फ मीडिया संस्थानों में ही कार्य नहीं कर रहे है बल्कि उन सभी गैर मीडिया संस्थानों में अच्छी जगह पोस्टिंग है जहां कम्युनिकेशन स्किल्स  की आवश्यकता है।  लगभग सभी संस्थानों में शिखर पर है और अपने कर्तव्यों का अच्छे से निर्वहन कर उस संस्था की तरक्की में सहयोगी बनने के साथ साथ अपने  शहर और देश का नाम भी रोशन कर रहे है।  आपकी मेहनत कभी असफल नहीं होती है लगन और धैर्य आपको मंजिल  तक ले जाती है।

सवाल : आईआईएमसी नई दिल्ली में आप महानिदेशक की नियुक्ति पर जा रहे है , आपकी प्राथमिकताएं ?
जवाब :  कुलपति के चार्ज से रिलीव होते ही मै वहां ज्वाइन करूँगा ।  कार्यप्रणाली को समझने के बाद संस्थान की बेहतरी के लिए जो भी कदम उठाने होंगे उसको नियमानुसार लागू किया जायेगा।  आईआईएमसी स्वशासी संस्थान है  विश्वविद्यालय में परिवर्तन करने की आवश्यकता महसूस हुई है जिस पर इनपुट दिया जायेगा उसके साथ साथ पत्रकारिता में नए शोध विषयों पर जोर देने का प्रयास किया जायेगा।

सवाल :   आप महानिदेशक बनकर जा रहे है ये मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात है। राज्य के लिए आपकी प्राथमिकताएं।
जवाब : मध्यप्रदेश मेरी कर्म भूमि है।  यहाँ के लोग और यहाँ से मेरी यादें जुडी है।  आप जहां से जाते है वहां के लोगों का ख्याल भी रखते है।  माखनलाल विश्वविद्यालय  का देश की  पत्रकारिता में बड़ा नाम है।  आईआईएमसी नई दिल्ली को इस विश्वविद्यालय से मदद ही मिलेगी। यहाँ के अनुभवों को वहां साझा किया जायेगा।  राज्य सरकार की मदद के लिए जनसम्पर्क अधिकारियों की ट्रेनिंग भी आईआईएमसी में आयोजित कर  सकते है।  मीडिया एजुकेशन को  बेहतर बनाने के लिए मिलजुलकर काम करना प्राथमिकता में है।

सवाल : आज खोजी पत्रकारिता का स्वरुप बदल रहा है इस पर आपकी राय ?
जवाब : मुद्दा ये है कि आप किन विषय पर किन माध्यमों के साथ जा रहे है।  मीडिया का आकार –  प्रकार काफी बदल गया है । मीडिया अब  सीमित नहीं है।  अब लोगो की जरुरत और कुछ लोग अपनी जरूरतों के लिए भी खोजी पत्रकारिता को अपनाने लगे है। सत्य और समाज हित के लिए की गयी पत्रकारिता हमेशा जीवंत रहेगी।

सवाल :  वेब मीडिया, प्रिंट मीडिया को खत्म  कर रही है  क्या भविष्य अब वेब मीडिया का है ?
जवाब : ख़त्म कोई चीज नहीं होती स्वरूप बदलता है।  रेडियो के बाद टीवी आयी परन्तु आज भी लोग रेडियो सुनना पसंद करते है।  आप उसको कैसे जनता के सामने लाते है बस इस पर निर्भर करता है। आज सभी अखबार डिजिटल हो गए है।  इ पेपर की पॉपुलेरिटी बढ़ गयी है और जो पहले से प्रिंट मीडिया में टॉप पर है वही आज डिजिटल में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे है।  न्यूज़ की विश्वसनीयता भी बरक़रार रखने में वो ही मीडिया समूह सफल हो रहा है जो प्रिंट में लम्बे  समय से कार्यरत है।  प्रिंट मीडिया से ही वेब मीडिया है प्रिंट मीडिया खत्म नहीं हो रहा है।

सवाल : मीडिया जगत  में रोजगार के अवसर घट रहे है ?
जवाब :  बाढ़ आई तो नुकसान सभी का होगा। कहीं ज्यादा तो कहीं कम।  कोरोना महामारी से पूरा विश्व आर्थिक संकट से ग्रसित है।  मीडिया संस्थानों पर भी इसका असर पड़ा परन्तु इसकी उपयोगिता कई गुना बढ़ी भी है।  वर्तमान में रोजगार के अवसर सभी संस्थानों में घटे है सुधार भी  तेजी से आएगा। मीडिया क्षेत्रों में  रोजगार का दायरा बढ़ गया। अवसरों में वृद्धि होगी।

सवाल : उद्योगपतियों द्वारा मीडिया का दोहन किया जा रहा है कितना उचित ?
जवाब : दोहन नहीं कह सकते है।  मीडिया क्षेत्र अब साधारण उपक्रम नहीं रहा है।  इसका स्वरूप विस्तृत हो गया है। आर्थिक मजबूती से मीडिया संस्थानों की उन्नति और विकास संभव है। तभी रोजगार का लाभ मिलेगा । बस विश्वसनीयता बरक़रार रहे।

सवाल : मीडिया जगत के लिए आपका सन्देश .
जवाब : पत्रकारिता लोककल्याण और लोकमंगल के सिद्धांतों पर निर्भर है।  समाज की संस्कृति और ज्ञान के विकास को बनाये रखना पत्रकारिता का उद्देश्य होना चाहिए।