छत्तीसगढ़ की सीमा में तेलंगाना से सटा गांव पामेड़ जगदलपुर-बीजापुर जिले के नातर्गत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल से कल शाम बिजली की रोशनी से उजियारा हुआ । स्वतंत्रता के 70 साल बाद ग्रामीण अंधेरे से मुक्ति का उत्सव मना रहे थे। बस्तर के सुदूर गांवों में 80 के दशक में इसी रास्ते से नक्सलवाद का अंधियारा आया था। अब उसी रास्ते पर बिजली की रोशनी से अँधियारा दूर हो रहा है । सुकमा और बीजापुर जिलों के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित इलाकों में छत्तीसगढ़ की ओर से बिजली लाइन बिछाना संभव नहीं था। इसका विकल्प तेलंगाना के रास्ते निकला।
बिजली विभाग से मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के बॉर्डर पर स्थित बीजापुर जिले से 225 किलोमीटर दूरी पर स्थित पामेड़ और झाड़पल्ली पंचायतों में कुल नौ गांव शामिल हैं। इन सभी गांवों की कुल आबादी लगभग डेढ़ हजार है।
दोनों पंचायतें धुर नक्सल इलाके में तेलंगाना बॉर्डर पर हैं। इसलिए तेलंगाना से ही बिजली लेकर सप्लाई करना एक विकल्प अधिकारियों को नजर आया था । पिछले साल 2019 में सीएसपीडीसीएल के अधिकारियों ने गांव का सर्वे कर रिपोर्ट विभाग को सौपी थी।

सुकमा के गोलापल्ली में पिछले माह मई में आयी बिजली
पिछले माह मई में लॉक डाउन के दौरान आजादी के 70 साल बाद पहली बार सुकमा के नक्सल प्रभावित गोलापल्ली गांव सरकारी बिजली से रोशन हुआ है. यहां भी बिजली नहीं आई थी. नक्सल प्रभावित इलाका होने के कारण यहां ना तो बिजली आई थी और ना ही बुनियादी सुविधाएं, लेकिन मंत्री कवासी लखमा की पहल ने गांव को रोशन कर दिया।

मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि वह पिछले कई सालों से इन इलाकों में बिजली पहुंचाने के लिए प्रयास कर रहे थे। लखमा ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और इसके बाद मैंने ये प्रयास तेज कर दिया। लिहाजा गोलापल्ली में पहली बार बिजली पहुंची है. वहां के लोग बहुत खुश हैं। शिक्षा विकास पर भी ध्यान दिया जायेगा । क्षेत्र के विकास का जो वादा किया है वो पूरा किया जायेगा।