डॉ. राहत इन्दौरी 1 जनवरी 1950 से 11 अगस्त 2020 सुनो खबर की विशेष श्रदांजलि
भारतीय उर्दू शायर और हिंदी फिल्मों के गीतकार थे । उनका जन्म इंदौर में कपड़ा मिल के कर्मचारी रफ्तुल्लाह कुरैशी और मकबूल उन निशा बेगम के यहाँ हुआ था । उनकी प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई। उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1975 में बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में एम.ए. किया था । 1985 में मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की थी । उनकी क्षमता, लगन और विशिष्ट शैली ने उन्हें जनता के बीच अत्यन्त लोकप्रिय बना दिया। उनकी रचनाएँ हैं : धूप-धूप, नाराज़, धूप बहुत है, चाँद पागल है, मौजूद, मेरे बाद ।
कुछ पंक्तियाँ उनकी कविता उनकी याद में आप गुनगुनाये
मैं लाख कह दूं कि आकाश हूं ज़मीं हूं मैं
मगर उसे तो ख़बर है कि कुछ नहीं हूं मैं
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझ को
वहां पे ढूंढ रहे हैं जहां नहीं हूं मैं
कुछ और अन्य कविता के अंश –
हरेक चहरे को ज़ख़्मों का आइना न कहो
ये ज़िंदगी तो है रहमत इसे सज़ा न कहो
न जाने कौन सी मजबूरियों का क़ैदी हो
वो साथ छोड़ गया है तो बेवफ़ा न कहो
तमाम शहर ने नेज़ों पे क्यों उछाला मुझे
ये इत्तेफ़ाक़ था तुम इसको हादिसा न कहो
कविता के कुछ और अंश –
उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब
चाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सब
जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं
चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब
मुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सब
आखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते है
कश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया लंगर-वंगर सब
https://youtu.be/eUWepBwa26k