मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कोरोना वायरस से मानव जीवन को बचाने और जनता की तकलीफों के बारे में अनुभव कर छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए अथक कार्य किया। यही वजह है प्रवासी श्रमिकों, किसानों और गौसेवकों का आशीर्वाद उनको मिल रहा है। उन्होंने न केवल किसानों से 25 सौ रूपए में धान खरीदने का वादा निभाया है, बल्कि कोराना संकट के समय किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिए बड़ी राहत दी है। किसानों को खेती-किसानी के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए 57 सौ करोड़ रूपए की राशि चार किश्तों में दी जा रही है। इसकी 15-15 सौ करोड़ की दो किश्ते दी जा चुकी है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री बघेल उस समय किसानों की मदद के लिए सामने आए जब चारो ओर से कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था संकट में है। ऐसे कठिन समय में राज्य की अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने के लिए लिए उन्होंने किसानों की मदद की, यह उनकी दूरदर्शिता का उदाहरण है।
गांवों में बसता भारत को पहचान दिलाने छत्तीसगढ़ सरकार मजबूती से प्रयास कर रही है। ग्रामीण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले मुख्यमंत्री श्री बघेल किसानों, मजदूरों की तकलीफ और दर्द को बखूबी समझते हैं। इसलिए उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सुराजी गांव योजना की शुरूआत की, जिसमें गौठान के माध्यम से ग्रामोत्थान के लिए प्रावधान रखे गए। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मजबूती देने के लिए उन्होंने गोधन न्याय योजना की शुरूआत की। छत्तीसगढ़ सरकार को इन योजनाओं के जरिए किए जा रहे कार्यों से सभी लोगों और संगठनों का आशीर्वाद छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को मिल रहा है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के छत्तीसगढ़ी माॅडल को पूरे देश में सराहना मिल रही है। कई राज्य गोधन न्याय योजना और सुराजी गांव योजना को लागू करने का मन बना रहे हैं। गाय, गौठान और गोबर गांव के लोगों की आर्थिक समृद्धि का आधार है। छत्तीसगढ़ सरकार की पहल में गांव के किसान, मजदूर सहित सभी लोगों की आर्थिक उन्नति निहित है। गौठानों में पशुधन के संवर्धन के साथ ही आर्थिक गतिविधियांें में लोगों को रोजगार मिलेगा वहीं खुले में चराई पर रोक लगने से किसानों को दोहरी फसल लेने का मौका भी मिलेगा। गोधन न्याय योजना से लोग वर्षभर आमदनी प्राप्त करेंगे। दो रूपए में खरीदे गए गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के जरिए युवाओं को रोजगार मिलेगा।
खेतों में जैविक खाद के उपयोग से मानव शरीर को रासायनिक खाद से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। इससे हमारा अन्न-जल और पर्यावरण भी शुद्ध होगा। बाड़ी में अधिकतर ग्रामीण जैविक खाद का उपयोग परम्परागत ढंग से करते आ रहे हैं। सरकार की ओर से पहली बार इस दिशा में मजबूत प्रयास की शुरूआत की गई है। निश्चित रूप से इन योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से छत्तीसगढ़ के सभी लोगों को सकारात्मक परिणाम मिलेगा। यह प्रयास कितना सामयिक है यह इस बात से पता चलता है कि जब कोरोना संकट शुरू हुआ तब आवागमन बंद होने के कारण बाहर से सब्जी आना बंद हो गया तब शहर और गांव मे बाड़ी की सब्जियां ही काम आयी। सुराजी गांव योजना आकस्मिक विपदा की घड़ी में संकटमोचक और दूरगामी सोच का परिचायक बनी।
लाॅकडाउन के समय जब पूरे देशभर में प्रवासी श्रमिक अपने घर किसी भी हाल में पहुचंने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे। असंख्य लोग पैदल और सायकल से घर के लिए रवाना हो रहे थे। कोटा से छात्रों की वापसी के समय में मुख्यमंत्री श्री बघेल द्वारा श्रमिकों को उनके राज्य की सीमा तक पहुंचाने, प्रवासी श्रमिकों के लिए ट्रेन चलाने की पहल, तत्काल निर्णय लेकर निःशुल्क ट्रेन की व्यवस्था करना सब उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है।
अपने घर तक सकुशल पहुंचने वाले श्रमिक कहते है कि यह बड़ी बात है कि एक मुख्यमंत्री ने श्रमिकों की पीड़ा को समझकर उनके लिए निःशुल्क ट्रेन की व्यवस्था की। हमारे लिए सुखद आश्चर्य का विषय है कि उन्होंने यह महसूस किया कि श्रमिकों के पास जो भी राशि बची होगी उससे जीवन-यापन में खर्च हो गयी होगी, ‘घर वापसी के लिए ट्रेन की टिकट के लिए पैसे नहीं होगा। ऐसे विपदा के समय में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल प्रवासी श्रमिकों के लिए संकटमोचक बने। उन्होंने श्रमिको को लाॅकडाउन के दौरान मनरेगा में रोजगार देकर बहुत बड़ा उपकार किया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि देश के प्रमुख शोध संस्था सेंटर फाॅर स्टडी आॅफ डेवलपिंग सोसायटिज (सीएसडीएस) के सर्वे रिपोर्ट में भारत के अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ सरकार ने लाॅकडाउन अवधि में मनरेगा से सबसे ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराने का उल्लेख है। कहीं न कहीं मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रवासी श्रमिकों और किसानों के लिए हरसंभव मदद की है । छत्तीसगढ़ सरकार सुराजी गांव योजना से लोगों के शरीर और उनके जीवन को सुधारने की कोशिश कर रही है साथ ही साथ ग्रामीण भारत से समृद्ध भारत बनाने की ओर बढ़ रही है।