कोरोना काल में जहां रोजगार और जीवन-यापन की समस्या उत्पन्न हो गई है, वहीं पवन सिंह मनरेगा से कुंआ बनवाकर सब्जी उगाकर खूब कमाई कर रहे है। इतना ही नहीं उनके बेटे और बहु ने भी कुंआ निर्माण की मजदूरी से 26 हजार रूपए कमाएं। बात है गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के गौरेला विकासखण्ड के ग्राम लमना की। पवन सिंह एक उदाहरण है। इन्हीं के जैसे गौरेला विकासखण्ड के ग्रामीणों ने कोरोना काल में मनरेगा के तहत डबरी-कुंआ निर्माण के कार्यों से जल संरक्षण में विशेष योगदान दिया और अपनी आर्थिक स्थिति भी मजबूत की।
लमना निवासी पवन सिंह को मनरेगा के तहत कुंआ निर्माण के लिए 2 लाख 31 हजार रूपए स्वीकृत किया गया था। कुंआ निर्माण में उनके पुत्र बृजलाला और बहु कुंवरिया ने 152 दिवस कार्य कर 26 हजार रूपए की मजदूरी प्राप्त की। पवन सिंह कुंआ निर्माण से अपने निवास स्थान पर 40 डिसमिल जमीन में बाड़ी का काम कर रहे हैं। इस बाड़ी से उन्होंने लौकी, तरोई, भिण्डी, डोंड़का, लालभाजी, करेला आदि सब्जी का उत्पादन कर लगभग दो महीने में 8 हजार रूपए की कमाई की है।
मनरेगा के तहत विकासखण्ड गौरेला में कोरोना काल में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) के अंतर्गत लगभग 20 करोड़ रूपए के 1876 कार्य उपलब्ध कराए गए, ताकि लोगों को काम के तलाश में भटकना न पड़े। इन कार्यों से ग्रामीणों को 4 लाख 58 हजार 63 मानव दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया गया और उन्हें समय पर मजदूरी भुगतान की गई।