जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही विशेष ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल से 10 फरवरी 2020 को 28वे जिले के रूप में नया जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही ने जन्म लिया । जिला मुख्यालय से बिलासपुर पहुंचने के लिए मरवाही के लोगो को 165 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था जो अब समाप्त हुआ । आज ही के दिन पूरे एक वर्ष हो चुके है । आज पहली वर्षगांठ है जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही की।
आपको बता दें वरिष्ठ राजनेता पंडित राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला का जन्मदिन भी 10 फरवरी को मनाया जाता है । अपने अद्वितीय योगदान के लिए याद किए जाते है।
रवीन्द्रनाथ टैगोर भी कुछ दिन यह प्रवास पर रहे। माधव राव सप्रे की पत्रकारिता भी इसी मिट्टी में बसी है।
जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न यहां को जनजाति बोली मधुर है।
मुख्यमंत्री बघेल कहते है कि यह अंचल छत्तीसगढ़ का अभिन्न अंग है जो नर्मदा और अरपा नदी का उद्गम स्थल के रूप में जनमानस के में यादगार है।
जब ये जिला अस्तित्व में आया तब यहां के निवास करने वाले सभी वर्ग खासा उत्साहित नजर आए। इस क्षेत्र मे सोन , अरापा , जोहिला , मलनिया , और तिपान नदियों का उद्गम है। जो भूजल स्तर जलसंवर्धन स्रोतों का बाहुल्य जिला है।
विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत ने कहा –
गौरेला पेंड्रा मरवाही को जिला बनाने की मांग हर दृष्टि से जायज थी जो पूरी होने पर जनता के साथ मुख्यमंत्री ने न्याय और सम्मान किया है।
जिले के प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल कहते है –
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला बनने से इस अंचल में निवासियों को बिलासपुर तक अब दौड़ नहीं लगाना पड़ रही है । इससे उनका समय और सहमति दोनों की बचत है। क्षेत्र का विकास संभव हो सकेगा ।
गुरुकुल परिसर में कलेक्टोरेट और पुलिस अधीक्षक कार्यालय ।
वर्तमान में जिले के कलेक्टर नम्रता गांधी ने कमान संभाल रखी है और एसपी सूरज सिंह परिहार सुरक्षा का मोर्चा संभाले हुए है।
स्कूल परिसर अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से लेकर अभी तक अपनी विशालता और प्रकृति को बनाए हुए है । जिला बनने के बाद इसी परिसर ने सभी को कार्यालयीन कार्य हेतु जगह दी।
नवगठित जिले में तीन तहसील और तीन विकासखण्ड शामिल है। जिसमे कुल166ग्राम 222 ग्राम और 1 नगर पंचायत दो नगर पालिका समाहित है।
- जिले के अंतर्गत 6 वितरण केन्द्र है।
- सभी ग्राम 100 प्रतिशत विद्युतीकरण युक्त है।
- कुल ट्रासंफार्मर 1714 है।
- कुल बिजली उपभोक्ता संख्या 75874 है।
रविन्द्र नाथ टैगोर का पेंड्रा से नाता –
जन गण मन के रचियता रविन्द्र नाथ टैगोर की यादें पेंड्रा की माटी से जुड़ी हुई है। यहां अपनी पत्नी मृणालिनी देवी को कैंसर का इलाज करने के लिए लाए थे। उस समय गुरुकुल परिसर के सामने बना सेनिटोरियम केंसर रोगी के लिए एशिया में जाना माना हॉस्पिटल था। तब रवीन्द्रनाथ कलकत्ता से पेंड्रा आए थे।
जनसंपर्क विभाग ,रायपुर के संचालक/ आयुक्त श्री तारण प्रकाश सिन्हा की कलम से जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही –
सबकी तरह मेरा भी उस शहर से जज्बाती रिश्ता है, जहां मेरा जन्म हुआ, जहां मेरा बचपन बीता। सबकी तरह मेरे सपनों में भी मेरा वह शहर आता-जाता रहा है। मेरे सपने उस शहर में आते-जाते रहे हैं। उस शहर में बसे लोग, उसके गिर्द बसे गांव, गांवों के गिर्द खेत, खेतों की खुशबू, खुशबूदार जंगल, जंगलों की नम हवाएं, हवाओं में तैरते परिंदे, सबके सब मेरे सपनों में आकर बतियाया करते हैं हमेशा। हम बातें करते थे कि सबकुछ होते हुए भी यह पूरा क्षेत्र पीछे क्यों रह गया। अपने अद्भुत सौंदर्य के बावजूद अनचिन्हा क्यों रह गया। पुरखों की आवाजें अनसुनी क्यों रह गईं। यह पेंड्रा शहर था, जिसे पेंड्रा रोड भी कहते हैं। मध्यप्रदेश के अमरकंटक से सटी हुई वैसी ही दिलकश जगह। दिल छू लेने वाली वहां की बोली, वहां के गीत, वहां के तीज त्योहार। वहां के लोगों की बहुत पुरानी चाहत थी कि पेंड्रा जिला बने, ताकि उसको उसकी वास्तविक पहचान मिले, विकास का वास्तविक अधिकार मिले। वहां के लोगों की इस चाहत में मेरी भी जज्बाती साझेदारी थी। इसीलिए आज जब छत्तीसगढ़ के 28 वें जिले के रूप में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला अस्तित्व में आ रहा है, तब सबके साथ मेरी भी चाहत पूरी हो रही है।
साभार।