मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री कमलनाथ (CM Kamal Nath) ने चुनाव के दौरान किए गए वादे को पूरा करते हुए मंगलवार को किसान कर्जमाफी योजना के आवेदन भरने की शुरुआत हो गई। इस योजना का नाम ‘मुख्यमंत्री फसल ऋण माफी योजना’ न होकर अब ‘जय किसान ऋण मुक्त योजना’ (Jai Kisan Rin Mukti Yojana) होगा। इस योजना से राज्य के 55 लाख किसान लाभान्वित होंगे।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भोपाल में एक होटल परिसर में आयोजित समारोह में जय किसान ऋण मुक्त योजना की आवेदन प्रक्रिया का शुभारंभ किया। वहीं योजना के तहत भुगतान का दौर 22 फरवरी से शुरु हो जाएगा। ‘जय किसान फसल ऋण माफी योजना’ का शुभारंभ करते हुए कमलनाथ ने कहा कि इस योजना से प्रदेश के 55 लाख किसानों को ऋणमाफी का लाभ मिलेगा। इन किसानों के 50 हजार करोड़ रुपये के फसल ऋण माफ हो जाएंगे। यह योजना मध्यप्रदेश के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी।

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कमलनाथ ने जारी किया वीडियो संदेश
कमलनाथ ने किसानों के नाम एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि किसान आवेदन कर कर्जमाफी योजना का लाभ लें। इस वीडियो संदेश में किसानों का अभिवादन करने के बाद कहा, “मैं कमलनाथ बोल रहा हूं, सभी किसानों को नए साल और मकर संक्रांति की शुभकामनाएं, कांग्रेस ने अपने वादे के अनुसार सरकार बनने पर सबसे पहला फैसला किसानों की कर्जमाफी का लिया। किसानों के दो लाख तक के कर्ज माफ कर दिए गए हैं, जिन किसानों का 31 मार्च 2018 तक एनपीए, कालातीत ऋण था या 12 दिसंबर, 2018 तक जिन किसानों ने आंशिक या पूरा कर्ज पटा दिया था, उन किसानों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा।”

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किसानों का 50,000 करोड़ रुपये का फसल ऋण होगा माफ

भोपाल में मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में योजना के आवेदन भरने की शुरुआत हुई। इसके साथ ही पूरे प्रदेश में ऋणमाफी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री ने प्रतीक स्वरूप दस किसानों से ऋण मुक्ति आवेदन भरवाए और प्राप्त किए। आगामी पांच फरवरी तक पूरे प्रदेश में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक अभिनव योजना है। किसान अर्थव्यवस्था की नींव है, क्योंकि राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। किसानों को सशक्त करना हमारी प्राथमिकता है। कमलनाथ ने बताया कि इस ऋणमाफी योजना से प्रदेश के 55 लाख किसानों को लाभ मिलेगा। 50,000 करोड़ रुपये का फसल ऋण माफ होगा। कमलनाथ ने कहा, “जय किसान ऋण मुक्ति योजना मेरे लिए मील का पत्थर है। हमें देश में सबसे आगे बढ़ना है। प्रदेश के विकास के लिए हमें नई नीति बनानी है।”

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सरकार ने अचानक बदला योजना का नाम
राज्य सरकार ने इस योजना का नाम पहले मुख्यमंत्री फसल ऋण माफी योजना रखा गया था, यही कारण है कि आयोजन स्थल पर भी बड़े बैनर इसी नाम के लगे थे, मगर अचानक इस योजना का नाम बदलकर ‘जय किसान ऋण मुक्त योजना’ किया गया। नाम बदलने के पीछे का भी कमलनाथ ने खुलासा किया और कहा कि यह योजना किसी के नाम पर नहीं हो, इसलिए नाम बदला गया है।

निवेश आए बिना रोजगार के अवसर पैदा करना संभव नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत दो दशकों में किसानों के बीच भी पढ़ लिखकर लोग आगे आए हैं, इंजीनियर बने हैं। उनके लिए रोजगार की व्यवस्था करना होगा। युवाओं के लिए रोजगार निमार्ण पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। निवेश आने से रोजगार का निमार्ण होता है और विश्वास से ही निवेश आता है। निवेश आए बिना रोजगार के अवसर पैदा करना संभव नहीं है। जल्दी ही प्रदेश में निवेश आने का सिलसिला शुरू होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाजारों में रौनक तभी होगी, जब किसानों की क्रय शक्ति मजबूत होगी। यह योजना किसानों की मेहनत को समर्पित है। किसान कर्ज में जन्म लेता है, कर्ज में जीता है और कर्ज में उसका अंत होता है। यह स्थिति ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों को मजबूत करेगी।

मध्यप्रदेश को भौगोलिक लाभ नहीं मिला
भाजपा द्वारा सरकार की स्थिरता और योजना के लिए बजट उपलब्धता पर व्यक्त की जा रही शंकाओं का स्पष्ट जवाब देते हुए कमलनाथ ने कहा कि भाजपा को बजट की चींता करने की कोई जरूरत नहीं है। जो लोग वक्तव्य दे रहे हैं, वे खुद नहीं जानते कि बजट क्या होता है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश को निवेश के क्षेत्र में प्रतियोगी राज्य बनाना है। अन्य राज्यों की तरह मध्यप्रदेश को भौगोलिक लाभ नहीं मिला है, इसलिए प्रदेश की अपनी नीति बनानी होगा।

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